
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां अपने चरम पर हैं। इसी बीच, कथित वोट चोरी के विरोध में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के 12वें दिन की शुरुआत गुरुवार को सीतामढ़ी से हुई। इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव तब आया जब राहुल गांधी ने सीतामढ़ी स्थित ऐतिहासिक जानकी मंदिर पहुंचकर माता सीता की पूजा-अर्चना की और देश की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
मंदिर में पूजा-अर्चना और महागठबंधन की एकजुटता
राहुल गांधी ने मंदिर के गर्भगृह में जाकर माता की पूजा की और आशीर्वाद लिया। इस दौरान मंदिर के पुजारियों ने उन्हें मंदिर के महत्व और इतिहास की पूरी जानकारी दी। राहुल गांधी के साथ इस यात्रा में कांग्रेस सांसद पप्पू यादव, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम सहित महागठबंधन के कई प्रमुख नेता मौजूद थे। सभी ने माता जानकी की पूजा-अर्चना कर एकजुटता का संदेश दिया।
यह यात्रा न केवल राजनीतिक मुद्दा उठाने के लिए है, बल्कि यह विपक्ष की एकजुटता को भी प्रदर्शित करती है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी इस यात्रा में शामिल हुए हैं, जो यह दिखाता है कि ‘इंडिया’ गठबंधन के नेता एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के घटक दलों के प्रमुख नेता भी राहुल गांधी के साथ लगातार कदम से कदम मिला रहे हैं, जिससे यह संदेश जा रहा है कि विपक्ष सरकार को घेरने के लिए पूरी तरह से एकजुट है।

यात्रा का उद्देश्य और आगे का सफर
‘वोटर अधिकार यात्रा’ का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी और ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को जनता के बीच उठाना है। विपक्ष का आरोप है कि बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं, जिससे चुनाव में धांधली की जा सकती है। इसके साथ ही, विपक्ष इस यात्रा के जरिए सरकार में बदलाव लाने के लिए भी लोगों से जुड़ रहा है।
गुरुवार को सीतामढ़ी के जानकी मंदिर से शुरू होकर यह यात्रा रीगा मिल चौक, मनियारी चौक और बैरगनिया होते हुए ढाका पहुंचेगी। यहां से यात्रा आजाद चौक, मोतिहारी रोड, चिरैया विधानसभा छतौनी और गांधी चौक होते हुए मोतिहारी के महात्मा गांधी प्रेक्षागृह पहुंचेगी। यहां राहुल गांधी संविधान सम्मेलन को संबोधित करेंगे, जिसमें संविधान के संरक्षण और जनता के अधिकारों पर जोर दिया जाएगा। इसके बाद वे रात्रि विश्राम के लिए बेतिया पहुंचेंगे।

‘मंदिर पॉलिटिक्स’ और जनाधार का विस्तार
राहुल गांधी की यह यात्रा राजनीतिक रूप से कई मायनों में महत्वपूर्ण है। जहां एक ओर यह ‘वोटर अधिकार’ जैसे मुद्दों को उठाकर सरकार को घेरने का प्रयास है, वहीं दूसरी ओर जानकी मंदिर में उनका जाना एक बड़ा राजनीतिक संदेश देता है। यह राहुल गांधी और कांग्रेस की उस ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ वाली रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें वे खुद को धार्मिक रूप से भी जनता के करीब दिखाना चाहते हैं। मंदिर में पूजा-अर्चना कर वे न केवल बिहार के वोटरों से भावनात्मक रूप से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि अपनी छवि को एक ऐसे नेता के रूप में पेश कर रहे हैं जो सभी धर्मों का सम्मान करता है।
राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ 17 अगस्त को बिहार के सासाराम से शुरू हुई थी। यह 16 दिन की यात्रा है जो लगभग 20 जिलों से होकर गुजरेगी और 1,300 किलोमीटर का सफर पूरा करेगी। इसका समापन 1 सितंबर को पटना में एक बड़ी रैली के साथ होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी की यह यात्रा और उनकी ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की रणनीति बिहार में क्या सियासी गुल खिलाती है।

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