
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने की आदत पड़ गई है। हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा एक चुनावी याचिका खारिज किए जाने के बाद शिंदे ने कहा कि अदालत की फटकार ने राहुल गांधी के झूठे आरोपों की पोल खोल दी है।
एकनाथ शिंदे ने कहा कि “राहुल गांधी जब चुनाव हारते हैं, तब चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने लगते हैं, लेकिन जब जीतते हैं, तब वही आयोग उन्हें सही लगने लगता है। यह दोहरी राजनीति अब देश की जनता भलीभांति समझ चुकी है।”
हार मिलते ही शुरू हो जाती है ‘आयोग-विरोध’ की राजनीति
एकनाथ शिंदे ने उदाहरण देते हुए बताया कि “तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में जब कांग्रेस ने चुनाव जीते, तब राहुल गांधी ने न तो चुनाव आयोग पर सवाल उठाया और न ही ईवीएम को दोषी ठहराया। लेकिन जैसे ही महाराष्ट्र में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, उन्होंने तुरंत चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा कर दिया।”
शिंदे के मुताबिक यह रवैया गैर-जिम्मेदाराना और लोकतंत्र के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है, जो अपने तय नियमों और प्रक्रियाओं के तहत कार्य करती है। यदि किसी को शिकायत है, तो उसे कानूनी तरीके से निपटाया जाना चाहिए, लेकिन राहुल गांधी अदालत जाने से पहले ही राजनीतिक मंचों पर जनता को गुमराह करना शुरू कर देते हैं।
अदालत से भी मिली फटकार
गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनावों में कथित अनियमितताओं को लेकर दायर की गई याचिका को हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। अदालत ने याचिका को “बिना किसी ठोस प्रमाण” के आधार पर दायर बताया और इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई।
शिंदे ने इसी संदर्भ में कहा कि “अब राहुल गांधी को आत्मचिंतन करना चाहिए कि हर बार हार का दोष किसी अन्य संस्था पर डालना उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर ही बना रहा है। देश की जनता अब समझदार हो चुकी है और भावनाओं में बहकर वोट नहीं देती।”
नक्सलवाद और आतंकवाद पर सरकार की सख्ती
चुनाव आयोग पर टिप्पणी के अलावा एकनाथ शिंदे ने नक्सलवाद और आतंकवाद के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख की तारीफ की। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि 2026 तक भारत नक्सलवाद मुक्त होगा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जैसे इलाकों में अब बदलाव दिखने लगा है—लोगों को रोजगार और बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं।
शिंदे ने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में देश आतंकवाद और नक्सलवाद से लड़ने में अब और अधिक गंभीर है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई ने भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूत किया है।”
राजनीति में ईमानदारी और जिम्मेदारी जरूरी
बातचीत के अंत में शिंदे ने कहा कि देश की राजनीति में झूठे आरोपों और भ्रम फैलाने वाली रणनीति का समय अब खत्म हो रहा है। जनता अब नतीजों और काम को आधार मानती है। उन्होंने राहुल गांधी को नसीहत देते हुए कहा कि “अगर कांग्रेस को पुनर्जीवित करना है, तो उन्हें अपनी रणनीति बदलनी होगी और जनता से ईमानदारी के साथ संवाद करना होगा, न कि हर हार पर चुनाव आयोग को दोष देना।”
एकनाथ शिंदे के इस बयान को कांग्रेस के लगातार संवैधानिक संस्थाओं पर टिप्पणी करने की प्रवृत्ति के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। जहां एक तरफ अदालत ने याचिका को खारिज कर कांग्रेस को झटका दिया है, वहीं शिंदे ने इस मौके को बीजेपी की नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के रुख को उजागर करने के लिए भी इस्तेमाल किया। इससे साफ है कि महाराष्ट्र की राजनीति अब आने वाले चुनावों की गर्मी में प्रवेश कर चुकी है।