
केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के प्रमुख रामदास आठवले ने हिंदी भाषा को लेकर महाराष्ट्र में जारी राजनीति पर नाराजगी जताते हुए स्पष्ट कहा कि हिंदी हमारी भाषा है और इसका सम्मान हर हाल में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर सड़क पर उतरेगी और हिंदी के समर्थन में रैली निकालेगी।
मीडिया से बातचीत में आठवले ने कहा कि भारत जैसे विविधता भरे देश में कई भाषाएं बोली जाती हैं – मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, बंगाली, लेकिन इन सबके बीच एक सामान्य संपर्क भाषा की आवश्यकता हमेशा महसूस की गई है। इसी उद्देश्य से संविधान सभा और बाबासाहेब आंबेडकर ने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता दी।
“हिंदी-विरोधी राजनीति बर्दाश्त नहीं”
आठवले ने राज ठाकरे की पार्टी का नाम लेते हुए महाराष्ट्र में हिंदी विरोधी बयानों पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि भाषा के नाम पर राजनीति करना देश की एकता के खिलाफ है। उनका कहना है कि जैसे अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में मराठी पढ़ाई जाती है, वैसे ही मराठी माध्यम स्कूलों में हिंदी को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट कहा, “हिंदी और मराठी दोनों महत्वपूर्ण हैं। हमें भाषाओं के बीच पुल बनाना चाहिए, दीवार नहीं।”
राजनाथ सिंह के रुख की तारीफ
रामदास आठवले ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आतंकवाद के मुद्दे पर लिए गए स्पष्ट रुख की सराहना की। उन्होंने बताया कि एक अंतरराष्ट्रीय बैठक के दस्तावेज में आतंकवाद का जिक्र नहीं होने पर राजनाथ सिंह ने उस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। आठवले ने इसे साहसिक और देशहित में लिया गया निर्णय बताया।
मोदी सरकार के ऑपरेशन सिंदूर की सराहना
आठवले ने हाल ही में हुए “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीतिक क्षमताओं की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि 22 घंटे के भीतर भारत ने आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया, और यह भारत की ताकत और तत्परता का प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा कि शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे विपक्षी नेता भी इस कार्रवाई की तारीफ कर चुके हैं।
विपक्ष को दी नसीहत
रामदास आठवले ने राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं को आतंकवाद जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर एकजुट होने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन जब देश की सुरक्षा की बात आती है, तो राजनीति से ऊपर उठकर देशहित में साथ देना जरूरी है।
हिंदी और एकता के लिए RPI की मुहिम
अंत में आठवले ने दोहराया कि उनकी पार्टी हिंदी भाषा के सम्मान और राष्ट्रीय एकता के लिए लगातार काम करती रहेगी। उन्होंने कहा कि देश में भाषाओं की विविधता हमारी ताकत है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी भाषा को हीन भावना से देखा जाए।
हिंदी भारत की आत्मा है, और इसके सम्मान से ही देश की एकता और अखंडता मजबूत होती है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र की राजनीति में भाषायी मुद्दों को लेकर तनाव और विवाद गहराते जा रहे हैं। रामदास आठवले का यह रुख स्पष्ट संकेत देता है कि आने वाले समय में हिंदी को लेकर जनचेतना अभियान तेज हो सकता है।



