
देश भर के मेडिकल छात्रों की समस्याओं को दूर करने के लिए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने की सिफारिश की है। आयोग ने कहा कि पिछले कुछ समय से उसे मेडिकल छात्रों, उनके अभिभावकों तथा अन्य पक्षकारों की ओर से शैक्षणिक एवं नैदानिक प्रशिक्षण संबंधी विभिन्न समस्याओं की शिकायतें लगातार मिल रही हैं।
शुल्क से लेकर रैगिंग तक शिकायतों की लंबी सूची
एनएमसी द्वारा जारी परामर्श में बताया गया कि छात्रों को अत्यधिक शुल्क वसूलने, छात्रवृत्ति (वजीफे) में देरी या उसका भुगतान न होने, रैगिंग या उत्पीड़न, इंटर्नशिप के दौरान आने वाली चुनौतियों, संकाय या कॉलेज के कर्मचारियों से जुड़ी दिक्कतों, अनुशासनात्मक मामलों, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी मुद्दों, पाठ्यक्रम व उपस्थिति के प्रावधानों, शिक्षण पद्धतियों, परीक्षाओं एवं मूल्यांकन प्रणाली से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
आयोग ने माना कि इन शिकायतों का प्राथमिक स्तर पर निवारण जरूरी है ताकि छात्रों को अनावश्यक मानसिक तनाव से राहत मिले और उनके शैक्षणिक जीवन में अवरोध उत्पन्न न हो।
कॉलेज स्तर से लेकर एनएमसी तक पहुंचेगी शिकायत
एनएमसी ने अपने परामर्श में स्पष्ट किया कि अधिकतर शिकायतों का समाधान कॉलेज या विश्वविद्यालय स्तर पर ही संभव है। यदि कॉलेज अथवा विश्वविद्यालय स्तर पर भी समस्या का हल न निकले तो संबंधित राज्य के निदेशालय या चिकित्सा शिक्षा विभाग को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। वहीं यदि कोई मामला राज्य स्तर पर भी न सुलझे तो अंतिम विकल्प के तौर पर एनएमसी में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
आयोग ने सभी कॉलेजों और संस्थानों से अपील की है कि वे अपने यहां शिकायत निवारण समितियों को सक्रिय रखें ताकि छात्रों को तुरंत राहत मिल सके।
मेडिकल छात्रों के हित में ठोस कदम
मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में यह कदम छात्रों के हित में एक ठोस पहल माना जा रहा है। इससे छात्रों को यह भरोसा मिलेगा कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना और समझा जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि शिकायत निवारण तंत्र प्रभावी होने से न केवल संस्थानों में पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि छात्रों के मनोबल में भी इज़ाफा होगा।
एनएमसी ने उम्मीद जताई है कि इस तंत्र के लागू होने से मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में अनुशासन, गुणवत्ता और छात्रों की भलाई सुनिश्चित हो सकेगी।

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