
हर साल 11 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व जनसंख्या दिवस इस वर्ष एक नई सोच और प्रेरणा लेकर आया है। वर्ष 2025 की थीम है—”युवाओं को इस योग्य बनाना कि वे एक न्यायसंगत और आशापूर्ण विश्व में अपनी इच्छानुसार परिवार का निर्माण कर सकें।” इस अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. मीरा पाठक ने जनसंख्या के प्रभाव, महिला अधिकारों और सामाजिक जिम्मेदारियों पर अपने विचार साझा किए।
डॉ. पाठक ने बताया कि जनसंख्या केवल आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि उन लोगों की कहानी है जिनकी जरूरतें, अधिकार और सपने इन आंकड़ों में छिपे होते हैं। भारत की वर्तमान जनसंख्या 140 करोड़ को पार कर चुकी है, और हर मिनट 54 नवजातों का जन्म हो रहा है। ऐसे में ज़रूरी है कि केवल जनसंख्या की नहीं, बल्कि उससे जुड़े स्वास्थ्य, शिक्षा और अधिकारों की चर्चा की जाए।
उन्होंने कहा कि विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य केवल जनसंख्या वृद्धि पर ध्यान देना नहीं, बल्कि प्रजनन स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर लोगों की सोच को बदलना भी है। महिलाएं स्वयं तय करें कि उन्हें कब शादी करनी है, कितने बच्चे चाहिए और परिवार नियोजन कैसे करना है—यह उनका मूल अधिकार है।

सरकार की योजनाओं जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय जनसंख्या नीति और परिवार कल्याण कार्यक्रमों के तहत कपल्स को निःशुल्क गर्भनिरोधक विकल्प और जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने ‘कैफेटेरिया अप्रोच’ का उल्लेख करते हुए कहा कि जैसे कैफेटेरिया में लोग अपनी पसंद से भोजन चुनते हैं, वैसे ही महिलाओं और कपल्स को भी अपनी ज़रूरत के अनुसार गर्भनिरोधक विकल्प चुनने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
डॉ. पाठक का मानना है कि यदि युवा मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार हों, तभी उन्हें परिवार निर्माण की योजना बनानी चाहिए। इससे समाज अधिक संवेदनशील, संतुलित और न्यायसंगत बन सकता है। उन्होंने इस दिन को चेतावनी नहीं, बल्कि संभावनाओं और समाधान पर बातचीत का मंच बताया।

गांव से लेकर देश की राजनीतिक खबरों को हम अलग तरीके से पेश करते हैं। इसमें छोटी बड़ी जानकारी के साथ साथ नेतागिरि के कई स्तर कवर करने की कोशिश की जा रही है। प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक की राजनीतिक खबरें पेश करने की एक अलग तरह की कोशिश है।



