
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि राज्य में सक्रिय छह संगठनों पर पहले ही देश के कुछ अन्य राज्यों में प्रतिबंध लगाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि इन संगठनों पर शहरी नक्सलवाद और ‘‘पैसिव मिलिटेंसी’’ जैसी गतिविधियों में संलिप्त रहने का संदेह है। राज्य सरकार ने ऐसे संगठनों पर कार्रवाई के लिए मजबूत कानूनी ढांचा तैयार किया है जिसे ‘महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक 2024’ के नाम से जाना जाएगा।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने यह जानकारी विधान भवन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दी। उन्होंने कहा कि यह विधेयक गुरुवार को विधानसभा में पारित हो गया है और जल्द ही इसे विधान परिषद में पेश किया जाएगा। उम्मीद है कि वहां से मंजूरी मिलने के बाद राज्य में इसका प्रभावी क्रियान्वयन शुरू होगा।
शहरी नक्सलवाद और पैसिव मिलिटेंसी पर रोक लगाने की पहल
फडणवीस ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक का उद्देश्य शहरी नक्सलवाद और वामपंथी उग्रवादी संगठनों की ‘‘पैसिव मिलिटेंसी’’ जैसी गतिविधियों को रोकना है। उन्होंने कहा, ‘‘यह विधेयक उन संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का कानूनी आधार तैयार करता है जो खुद को संवैधानिक और लोकतांत्रिक बताते हुए भी भारतीय संविधान के अस्तित्व को ही नकारने की कोशिश कर रहे हैं।’’

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ‘‘पैसिव मिलिटेंसी’’ का मतलब यह नहीं कि हिंसा के जरिए विरोध हो, बल्कि इसमें कुछ समूह बिना हिंसा का सहारा लिए सरकार या प्रशासन के खिलाफ असहमति प्रकट करते हैं, लेकिन उसका मकसद अस्थिरता फैलाना और व्यवस्था को कमजोर करना होता है।
विरोध के अधिकार पर असर नहीं: फडणवीस
मुख्यमंत्री ने विपक्ष के उन आरोपों को सिरे से खारिज किया जिनमें कहा गया था कि इस कानून से आम लोगों के विरोध जताने या लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने के अधिकार पर असर पड़ेगा। उन्होंने दोहराया, ‘‘यह विधेयक केवल उन संगठनों पर लागू होगा जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ काम कर रहे हैं। यह आम नागरिकों या संगठनों के लोकतांत्रिक विरोध के अधिकारों में कोई बाधा नहीं डालेगा।’’
पहले से प्रतिबंधित संगठनों पर भी होगी कड़ी नजर
फडणवीस ने बताया कि राज्य में फिलहाल करीब 64 संगठन सक्रिय हैं, जिनकी गतिविधियों पर सुरक्षा एजेंसियां लगातार नजर रख रही हैं। इनमें से छह संगठनों को पहले से ही अन्य राज्यों में इसी तरह के कानूनों के तहत प्रतिबंधित किया जा चुका है। अब यह नया विधेयक महाराष्ट्र में भी इन पर सख्ती से कार्रवाई का रास्ता खोलेगा। उन्होंने कहा कि कई संगठन सामाजिक मुद्दों की आड़ में अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं, जिसे राज्य सरकार किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेगी।
राज्य की सुरक्षा व्यवस्था होगी और मजबूत
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक 2024 से राज्य की आंतरिक सुरक्षा और मजबूत होगी। ‘‘हमारा मकसद किसी भी ऐसे तत्व को राज्य में पनपने से रोकना है, जो संविधान विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। इस विधेयक के कानून बनने से पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को प्रभावी कार्रवाई के लिए स्पष्ट कानूनी अधिकार मिल जाएंगे।’’
विपक्ष का रुख, समर्थन या विरोध?
हालांकि, विपक्षी दलों ने अभी इस विधेयक पर कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है। लेकिन कुछ मानवाधिकार संगठनों ने आशंका जताई है कि कानून के दायरे को लेकर पारदर्शिता जरूरी होगी ताकि बेगुनाह लोगों या सामाजिक आंदोलनों को बेवजह निशाना न बनाया जाए।
फिलहाल मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि विरोध का लोकतांत्रिक अधिकार पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि विधान परिषद में यह विधेयक कब और किस रूप में पारित होता है।

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