
केंद्रीय मंत्री प्रतापराव जाधव ने शुक्रवार को द्वारका में द्वारकाधीश भगवान के दर्शन के दौरान मीडिया से बात करते हुए महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को “अत्यधिक राजनीतिक रंग” दिया जा रहा है और कुछ राजनीतिक दल इसे चुनावी लाभ के लिए हवा दे रहे हैं।
भाषा को राजनीतिक उपकरण नहीं बनाना चाहिए
मंत्री जाधव ने स्पष्ट रूप से कहा, “भाषा पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। महाराष्ट्र की नगर निगम चुनावों में कुछ दल ऐसे मुद्दों को उठाकर लाभ लेना चाहते हैं, जबकि यह रवैया अनुचित है।” उन्होंने सभी नागरिकों को अपनी मातृभाषा बोलने के अधिकार की पुष्टि करते हुए कहा कि मराठी महाराष्ट्र की मुख्य भाषा है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि अन्य भाषाओं के प्रति द्वेष रखा जाए।
उनका कहना था, “मुंबई जैसे महानगरों में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं और बसते हैं। हर भाषा का अपना सौंदर्य और स्थान है। गुजरात में गुजराती बोली जाती है, तो महाराष्ट्र में मराठी। पर यह विवाद महाराष्ट्र में अनावश्यक रूप से उछाला जा रहा है।”
कश्मीर मुद्दे पर लोकशाही की भावना का समर्थन
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के कश्मीर संबंधी हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री जाधव ने कहा, “भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां कोई धर्म-आधारित राजनीति नहीं होनी चाहिए। हर नागरिक को देश के हर कोने में जाने का अधिकार है — कश्मीर हमारा ही हिस्सा है और वहां के नागरिकों को भी यही भावना महसूस होनी चाहिए।”
उन्होंने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कुछ लोगों के मन में पाकिस्तान के प्रति झुकाव है, तो वह भावना राष्ट्रहित के विरुद्ध है और अस्वीकार्य है।
धार्मिक यात्रा: श्रद्धा, संस्कृति और संदेश
अपने परिवार के साथ द्वारका पहुंचे मंत्री जाधव ने शारदा पीठ में ध्वज पूजन किया और द्वारकाधीश के मंदिर में पादुका पूजन कर दर्शन प्राप्त किए। साथ ही उन्होंने नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की और भगवान शिव के चरणों में नमन करते हुए देशवासियों के लिए शांति, सुख और स्वास्थ्य की कामना की।
उन्होंने लिखा, “यह वही पवित्र स्थल है जहां भगवान शिव ने ‘दारुक’ नामक राक्षस का संहार कर अपने भक्त की रक्षा की थी। यह शिवधाम हमें शक्ति, निडरता और भक्ति का संदेश देता है।”
संवाद और समरसता का संदेश
प्रतापराव जाधव का यह बयान भाषा और क्षेत्रीय राजनीति के प्रश्नों पर समरसता और सद्भाव की अपील करता है। साथ ही, उनकी धार्मिक यात्रा सामाजिक संदेशों को जोड़ती है कि भारत की विविधता को संजोने के लिए सभी भाषाओं, संस्कृतियों और क्षेत्रों को समान सम्मान दिया जाना चाहिए।

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