
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इन दिनों पूरी तरह सियासी हमलावर मोड में नजर आ रहे हैं। खासकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के खिलाफ उन्होंने लगातार बयानबाज़ी तेज कर दी है। हाल ही में उन्होंने धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद जैसे शब्दों के राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर कांग्रेस पर सीधा हमला बोला और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयानों पर भी पलटवार किया।
रविवार को सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए मौर्य ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए लिखा,
“‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवाद’ की नकली व झूठी बैसाखियों का सहारा लेकर कांग्रेस ने लंबे समय तक देश की सत्ता को अपने शिकंजे में कसने का सपना पाला था, लेकिन कालचक्र ने उनका तिलिस्म तोड़ दिया। इसके बावजूद कांग्रेस अब भी इन जर्जर बैसाखियों से सत्ता की उम्मीद पाले बैठी है।”
सपा और कांग्रेस को बताया ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ का प्रतीक
केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की राजनीति को एक बार फिर ‘तुष्टिकरण आधारित’ करार दिया। उन्होंने कहा कि सपा और कांग्रेस का असली चेहरा अब जनता के सामने बेनकाब हो चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन दलों ने धर्मनिरपेक्षता की आड़ में मजहबी वोट बैंक की राजनीति की है और राष्ट्रहित से बार-बार समझौता किया है।
अखिलेश यादव के बयानों पर दिया करारा जवाब
जहां एक ओर सपा प्रमुख अखिलेश यादव लगातार उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं, वहीं मौर्य भी उन्हें करारा जवाब देने में पीछे नहीं हटते। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव का पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का नारा भी परिवारवाद की राजनीति को छुपाने की कोशिश है। उन्होंने कहा,
“जनता अब परिवारवाद और तुष्टिकरण के पुराने हथकंडों को समझ चुकी है। अब जातिवाद और धर्म के नाम पर वोट मांगने वाली राजनीति नहीं चलेगी।”
इमरजेंसी और कांग्रेस का अतीत भी बने निशाने पर
केशव मौर्य ने इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि जिस पार्टी ने लोकतंत्र को कुचला, प्रेस की आज़ादी छीनी और लाखों लोगों को जेलों में डाला, वह अब धर्मनिरपेक्षता और संविधान की बात करके जनता को गुमराह नहीं कर सकती। उन्होंने कहा,
“जनता ने इमरजेंसी को कभी नहीं भुलाया है और कांग्रेस को उसका हिसाब देना पड़ेगा।”
राजनीतिक सक्रियता में दिख रहे हैं मौर्य
लोकसभा चुनावों के बाद केशव प्रसाद मौर्य एक बार फिर राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय हो गए हैं। वे प्रदेश और केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर ज़मीनी कार्यक्रमों में भी भाग ले रहे हैं, साथ ही विपक्ष पर तीखा हमला भी कर रहे हैं। खासकर पिछड़े वर्ग के बीच पकड़ बनाने के लिए वे लगातार प्रयासरत हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केशव प्रसाद मौर्य की यह आक्रामकता आने वाले बाई-चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा है। बीजेपी उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग और गैर-यादव ओबीसी समुदाय में अपनी पकड़ को और मजबूत करना चाहती है, जहां मौर्य की भूमिका अहम मानी जाती है।
केशव प्रसाद मौर्य की बयानबाज़ी सिर्फ विपक्ष की आलोचना नहीं, बल्कि बीजेपी की आगामी रणनीति की झलक भी है। वे धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद जैसे संवैधानिक शब्दों की व्याख्या को विपक्ष के खिलाफ हथियार बना रहे हैं। अब देखना यह होगा कि विपक्ष इस हमले का क्या जवाब देता है और आने वाले संसद सत्र व चुनावों में यह बहस किस दिशा में जाती है।

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