
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने देश में बढ़ते भाषा विवाद, धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिक राजनीति पर गहरी चिंता जताई है। राजधानी लखनऊ में रविवार को आयोजित सात राज्यों की संगठनात्मक समीक्षा बैठक में उन्होंने इन मुद्दों पर खुलकर विचार रखे और केंद्र व राज्य सरकारों से जनता की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की।
देशभक्ति पर हावी न हो संकीर्ण सोच
मायावती ने विशेष रूप से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हाल में सामने आए भाषा विवादों को “घातक” बताया। उन्होंने कहा कि जब धर्म, क्षेत्र, जाति और भाषा जैसी संकीर्ण सोच लोगों की देशभक्ति और देश प्रेम पर हावी हो जाती है, तब देश की एकता और अखंडता को गंभीर नुकसान पहुंचता है।
उन्होंने मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी बताते हुए कहा कि यहां देश के कोने-कोने से लोग रोजगार और व्यवसाय के लिए आते हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। मायावती ने केंद्र सरकार से भी इस दिशा में सकारात्मक हस्तक्षेप की अपील की।
बढ़ती दुर्घटनाएं और सरकारी लापरवाही पर हमला
बसपा प्रमुख ने देश भर में पुलों और एक्सप्रेस-वे जैसी अवसंरचनाओं में हो रही बार-बार की दुर्घटनाओं पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि इससे जनता का सरकार पर से विश्वास डगमगाता है। इन दुर्घटनाओं में जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है, जिससे यह साफ झलकता है कि सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार हावी है। इससे आम जनता का सरकार पर भरोसा टूटता है। इसे रोकने के लिए ठोस और त्वरित कदम उठाए जाने जरूरी हैं।
कर्नाटक सरकार पर गुटबाजी का आरोप
मायावती ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि वहां राजनीतिक गुटबाजी, धार्मिक उन्माद और जातिगत विद्वेष कानून-व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों और आम लोगों को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने दक्षिण भारत के अन्य राज्यों जैसे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर भी चिंता जताई और वहां बढ़ते जातिवाद और सांप्रदायिकता को रोकने के लिए सरकारों से सख्त कदम उठाने की अपील की।
बसपा शासन में ‘सुशासन’ का दावा
बैठक के दौरान मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपने चार बार के कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि बसपा शासनकाल को आज भी लोग सुशासन की मिसाल के तौर पर याद करते हैं। हमने जाति, धर्म और भाषा से ऊपर उठकर कानून का शासन स्थापित किया था। यही हमारी कार्यशैली और विचारधारा है।
संगठनात्मक समीक्षा और भविष्य की रणनीति
बैठक में दो मार्च को हुई लखनऊ की विशेष बैठक में दिए गए निर्देशों की प्रगति रिपोर्ट ली गई। सात राज्यों में संगठनात्मक कमेटियों के गठन, कार्यकर्ताओं की सक्रियता, और स्थानीय स्तर पर जनसंपर्क अभियानों की समीक्षा की गई। मायावती ने सभी ज़िला और राज्य स्तर के पदाधिकारियों को जमीनी हकीकत से जुड़े मुद्दों पर फोकस करने और जनता से संवाद बनाए रखने के निर्देश दिए।
मायावती का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में भाषा, जाति और धर्म को लेकर राजनीतिक तनाव बढ़ता दिख रहा है। उन्होंने अपने संबोधन में साफ किया कि बसपा केवल सत्ता नहीं बल्कि सामाजिक समरसता और जनहित की राजनीति को आगे बढ़ाने में विश्वास रखती है। उनकी यह समीक्षा बैठक न केवल पार्टी के संगठनात्मक दृष्टिकोण से अहम थी, बल्कि देश की मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक स्थिति पर पार्टी के दृष्टिकोण को स्पष्ट करने का मंच भी बनी।

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