
पिछले कई सालों से भारत-चीन के रिश्ते ठीक न रहने से दोनों देशों को कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसीलिए दोनों देश अपने रिश्ते और मजबूत करना चाह रहे हैं। भारत-चीन रिश्तों में लंबे वक्त से जारी तनाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। इस बातचीत में उन्होंने दोनों देशों के रिश्तों को ‘सामान्य और सकारात्मक’ बनाए रखने पर जोर दिया और कहा कि इससे आपसी हित में ठोस परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।
एलएसी तनाव के बाद पहली चीन यात्रा
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुए सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के रिश्तों में गहरी खटास आ गई थी। इस पृष्ठभूमि में जयशंकर की यह यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। विदेश मंत्री अपनी दो देशों की यात्रा के दूसरे चरण में सिंगापुर से सीधे बीजिंग पहुंचे। वे चीन के तियानजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में भाग लेने आए हैं।
वैश्विक जटिलताओं के बीच खुले संवाद पर जोर
हान झेंग से बातचीत में जयशंकर ने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियां बेहद जटिल हैं। ऐसे में भारत और चीन जैसे पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच विचारों और दृष्टिकोणों का खुला आदान-प्रदान जरूरी है। उन्होंने कहा, “आज हम जिस अंतरराष्ट्रीय स्थिति में मिल रहे हैं, वह बहुत जटिल है। मुझे उम्मीद है कि मेरी यह यात्रा सकारात्मक दिशा में चर्चाओं को आगे बढ़ाएगी।”
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी की मुलाकात का जिक्र
जयशंकर ने पिछले साल कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात को द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार की दिशा में अहम कदम बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि मौजूदा बातचीत भी उसी सकारात्मक राह पर आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा, “पिछले साल कजान में दोनों नेताओं की बैठक के बाद से संबंधों में लगातार सुधार हो रहा है। मुझे विश्वास है कि मेरी इस यात्रा से बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगी।”
कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली की सराहना
बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ का जिक्र करते हुए कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली को भी महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि भारत में इस कदम की व्यापक सराहना हुई है और यह रिश्तों में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में अहम संकेत है।
एससीओ में भारत-चीन संवाद की निरंतरता
जयशंकर की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब महज तीन हफ्ते पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी एससीओ रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन के बंदरगाह शहर किंगदाओ गए थे। बता दें कि चीन इस साल शंघाई सहयोग संगठन का मौजूदा अध्यक्ष है और समूह की प्रमुख बैठकों की मेजबानी कर रहा है।
सामरिक विशेषज्ञों की नजर में अहम कदम
विशेषज्ञों के मुताबिक, एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भारत-चीन संवाद की निरंतरता रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने के लिए अहम साबित हो सकती है। जयशंकर की यह यात्रा न सिर्फ द्विपक्षीय स्तर पर रिश्तों में नया भरोसा जगा सकती है बल्कि जटिल वैश्विक हालात में दोनों देशों को साझा हितों के मुद्दों पर साथ आने का मौका भी दे सकती है।

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