
केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र को मजबूती देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ को मंजूरी दे दी है। यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 से लागू होकर अगले छह वर्षों तक चलेगी और देश के 100 जिलों में चरणबद्ध तरीके से इसे लागू किया जाएगा।
नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरित
यह महत्वाकांक्षी योजना नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम की तर्ज पर तैयार की गई है। यह अपनी तरह की पहली ऐसी योजना होगी, जो पूरी तरह से कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों पर केंद्रित रहेगी। इसका मकसद देश के पिछड़े और कम उत्पादकता वाले जिलों को तेजी से कृषि विकास के रास्ते पर लाना है।
कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधारों पर फोकस
‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ के जरिए केंद्र सरकार कृषि उत्पादकता बढ़ाने, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने, टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने और पंचायत एवं ब्लॉक स्तर पर फसल कटाई के बाद भंडारण सुविधाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में काम करेगी। इसके अलावा सिंचाई सुविधाओं में सुधार, दीर्घकालिक और अल्पकालिक कृषि ऋण की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करना भी इस योजना के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल है।
11 मंत्रालयों और राज्य सरकारों का साझा प्रयास
यह योजना महज एक मंत्रालय की जिम्मेदारी नहीं होगी, बल्कि 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा योजनाओं, राज्य सरकारों की नीतियों और निजी क्षेत्र की भागीदारी को मिलाकर इसे लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य स्थानीय जरूरतों के मुताबिक योजनाओं को जोड़ना और जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन को प्रभावी बनाना है।
जिलों का चयन ठोस मानकों पर होगा
योजना के तहत उन 100 जिलों का चयन किया जाएगा, जहां कृषि उत्पादकता कम है, फसल सघनता कम है या किसानों को ऋण वितरण अपेक्षाकृत कम हुआ है। चयन प्रक्रिया में नेट क्रॉप एरिया और ऑपरेशनल होल्डिंग्स जैसे पैमानों को ध्यान में रखा जाएगा। खास बात यह है कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से कम से कम एक जिले का चयन अनिवार्य होगा।
जिला स्तर पर बनेगी ‘धन-धान्य समिति’
योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियां गठित की जाएंगी। जिला स्तर पर ‘जिला धन-धान्य समिति’ बनाई जाएगी, जिसमें प्रगतिशील किसान भी शामिल होंगे। ये समिति स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ‘जिला कृषि और संबद्ध गतिविधि योजना’ तैयार करेगी। इसमें प्राकृतिक खेती, मिट्टी और जल संरक्षण, आत्मनिर्भरता और फसल विविधीकरण जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।
मॉनीटरिंग के लिए डैशबोर्ड और केंद्रीय अधिकारी
योजना की प्रगति पर नजर रखने के लिए प्रत्येक जिले में एक केंद्रीय नोडल अधिकारी नियुक्त होगा। साथ ही, एक ऑनलाइन डैशबोर्ड के माध्यम से 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर मासिक निगरानी की जाएगी। नीति आयोग भी इन योजनाओं की समीक्षा और मार्गदर्शन करेगा।
गांव-गांव पहुंचेगा लाभ
सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से कृषि उत्पादकता में बढ़ोतरी के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। जब इन 100 जिलों के प्रदर्शन में सुधार होगा, तो इसका असर देश के औसत प्रदर्शन पर भी सकारात्मक रूप से पड़ेगा और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने में मदद मिलेगी।

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