
ओडिशा के बालासोर जिले में स्थित फकीर मोहन स्वायत्त कॉलेज की एक छात्रा द्वारा कथित यौन उत्पीड़न और न्याय न मिलने पर आत्मदाह कर लेने की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। इस गंभीर मामले के विरोध में कांग्रेस के नेतृत्व में आठ विपक्षी दलों ने गुरुवार को 12 घंटे के राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया, जिसका असर राजधानी भुवनेश्वर, कटक समेत कई प्रमुख शहरों में आंशिक रूप से देखा गया।
बंद के दौरान सड़कों पर पसरा सन्नाटा, रेल सेवाएं भी प्रभावित
सुबह छह बजे से शुरू हुए इस बंद के दौरान सड़कों पर आमतौर पर दिखाई देने वाली भीड़-भाड़ कम हो गई। कई जगहों पर बस सेवाएं बाधित रहीं और मास्टर कैंटीन चौक, जटनी, पुरी व भद्रक जैसे क्षेत्रों में ट्रेन सेवाओं पर असर पड़ा। खासतौर पर राष्ट्रीय राजमार्ग-16 और राजधानी से जुड़े प्रमुख चौराहों पर प्रदर्शनकारियों ने चक्काजाम कर नारेबाजी की।

विपक्षी दलों की एकजुटता और तीन प्रमुख मांगें
बंद को सफल बनाने के लिए कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम), माकपा (लेनिनवादी), फॉरवर्ड ब्लॉक, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) जैसे दलों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों की मुख्य तीन मांगें थीं —
उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यबंशी सूरज का इस्तीफा
मामले की न्यायिक जांच
आरोपी प्रोफेसर सहित दोषियों को सख्त सजा
सीपीआईएम लिबरेशन के नेता महेंद्र परिदा ने बताया कि पीड़िता ने कई बार मुख्यमंत्री, जिला प्रशासन, और सांसदों को शिकायत भेजी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कॉलेज प्रशासन पर भी मामले को दबाने और पीड़िता पर समझौते का दबाव बनाने का आरोप लगाया।
जनता का मिला आंशिक समर्थन, ज़रूरी सेवाओं को मिली छूट
हालांकि इस बंद का असर पूरे राज्य में समान रूप से नहीं देखा गया, लेकिन कई स्थानों पर बाजार, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, स्कूल और कॉलेज बंद रहे। आवश्यक सेवाओं — जैसे स्वास्थ्य, दूध, दवाइयां और आपातकालीन सेवाएं — को बंद से मुक्त रखा गया था।

ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव प्रदीप महापात्रा ने कहा कि यह बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण था और इसमें लोगों का स्वेच्छा से समर्थन मिला। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा के शासनकाल में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।
छात्रों को उठानी पड़ी कठिनाइयाँ
इस बंद का सबसे ज्यादा असर विद्यार्थियों पर पड़ा। कई छात्रों ने बताया कि उन्हें परीक्षा केंद्र तक पहुंचने में दिक्कतें हुईं। एक छात्र ने बताया कि प्रैक्टिकल परीक्षा के दिन उन्हें लगभग पांच किलोमीटर पैदल चलना पड़ा क्योंकि सवारी उपलब्ध नहीं थी।

सरकार पर बढ़ा दबाव, जनता कर रही जवाबदेही की मांग
यह बंद केवल एक छात्रा की मौत के विरोध में नहीं था, बल्कि ओडिशा में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और प्रशासनिक निष्क्रियता के खिलाफ जनाक्रोश का प्रतीक बन गया। विपक्षी दलों की यह एकजुटता सरकार के लिए एक सख्त संदेश है कि अब जनता जवाबदेही चाहती है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कार्रवाई करती है — क्या केवल जांच का आदेश देकर मामला शांत कर दिया जाएगा या असल जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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