
सुभासपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार में पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर के खिलाफ दर्ज एक मुकदमे का खुलासा अब जाकर हुआ है। रेलवे स्टेशन परिसर में अराजकता फैलाने के आरोप में यह केस तीन महीने पहले दर्ज किया गया था, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। इस मामले की पुष्टि अब रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा की गई है।
आरपीएफ ने दी जानकारी
आरपीएफ प्रभारी अजय सिंह ने बताया कि यह मामला उच्चाधिकारियों के निर्देश पर 4 अप्रैल को दर्ज किया गया था। इसमें अरविंद राजभर समेत 25 अज्ञात लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। हालांकि रेलवे प्रशासन ने इसे सार्वजनिक करने से परहेज किया, जिससे यह मामला लंबे समय तक अज्ञात रहा।
राजीव राय के खुलासे से हुआ सार्वजनिक
घोसी के सपा सांसद राजीव राय ने इस मामले को सार्वजनिक किया। उन्होंने बताया कि मार्च में अपने रेलवे स्टेशन निरीक्षण के दौरान उन्होंने सईदी रोड की बदहाली और अन्य समस्याओं को लेकर केंद्रीय रेल मंत्री को पत्र सौंपा था। इन समस्याओं को उन्होंने संसद में भी उठाया। इसके कुछ दिन बाद ही अरविंद राजभर अपने समर्थकों के साथ स्टेशन पहुंचे और बिना अनुमति वहां निरीक्षण और प्रेस कांफ्रेंस की।
प्रेस कांफ्रेंस और अराजकता का आरोप
अरविंद राजभर ने स्टेशन परिसर में मीडिया को बुलाकर प्रेस कांफ्रेंस की थी, जिससे यात्रियों और रेलवे कर्मचारियों को असुविधा हुई। इसको लेकर कई यात्रियों और स्थानीय लोगों ने सांसद राजीव राय से शिकायत की थी। जिसके बाद सांसद ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए केंद्रीय रेल मंत्री को पत्र भेजा और कार्रवाई की मांग की।
मिल चुकी है जमानत
अब इस मामले में अरविंद राजभर को जमानत मिल चुकी है। उल्लेखनीय है कि अरविंद राजभर घोसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं और सुभासपा में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। केस सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

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