
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बाजरा (श्रीअन्न) की खेती को बढ़ावा दे रही है। राज्य में धान, गेहूं और मक्का के बाद लगभग 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाजरा उगाया जाता है, और अब सरकार इसके विस्तार के लिए किसानों को संकर प्रजातियों के बीज पर अनुदान भी उपलब्ध करा रही है।
बाजरे की पौष्टिकता: स्वास्थ्य के लिए वरदान
बाजरा न केवल एक प्रमुख खाद्यान्न है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिहाज से भी अत्यंत लाभकारी है। इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैगनीज और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसके कारण यह मधुमेह नियंत्रण, हृदय स्वास्थ्य, पाचन सुधार और मोटापा घटाने जैसे क्षेत्रों में भी प्रभावशाली सिद्ध होता है। बाजरे से औषधीय उत्पादों का भी निर्माण हो रहा है, जिससे इसकी मांग में वृद्धि देखी जा रही है।
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी है उपयोगी
राज्य के कई जिले इस बार औसत से कम वर्षा की चपेट में हैं, जहां परंपरागत फसलें जैसे धान उगाना मुश्किल हो रहा है। ऐसी परिस्थितियों में बाजरा एक उपयुक्त विकल्प बनकर उभर रहा है। यह फसल 400–500 मिमी वर्षा में भी अच्छी उपज दे सकती है और 80-85 दिनों में तैयार होकर रबी फसल की समय से बुवाई का भी अवसर देती है।
कम लागत, अधिक लाभ
बाजरा की खेती में लागत अपेक्षाकृत कम है, जबकि बाजरे का बाजार मूल्य अधिक होने से किसानों को प्रति हेक्टेयर अधिक लाभ मिल सकता है। संकर प्रजातियां जैसे 86M84, बायो-8145, NBH-5929 और धनशक्ति की उत्पादन क्षमता 35-40 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक है, जो इसे आर्थिक रूप से लाभकारी बनाती हैं।
अनुदान और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था
प्रदेश सरकार किसानों को राजकीय कृषि बीज भंडारों के माध्यम से संकर बीजों पर अनुदान दे रही है। साथ ही 2022-23 से बाजरा की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर की जा रही है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सके। इससे उन्हें फसल की बिक्री में घाटा नहीं उठाना पड़ेगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी।
कृषि विभाग की अपील
उत्तर प्रदेश का कृषि विभाग किसानों से भूमि की उपयुक्तता के अनुसार बाजरे की खेती करने की अपील कर रहा है, ताकि वे सरकार की योजनाओं का अधिकतम लाभ उठा सकें। इसके साथ ही भूमि जनित रोगों से बचाव के लिए ट्राइकोडरमा हारजीएनम पाउडर से भूमि शोधन की सलाह भी दी गई है।
योगी सरकार द्वारा श्रीअन्न को लेकर उठाए गए ये कदम न केवल प्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में सहायक होंगे, बल्कि पोषण सुरक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी व्यापक प्रभाव डालेंगे। बाजरा अब सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि एक संभावनाओं से भरा भविष्य बन चुका है।

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