
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय द्वारा दायर इस याचिका में राज ठाकरे और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका में गैर-मराठी भाषियों पर हो रहे कथित हमलों को लेकर चिंता जताई गई है और इसे संविधान के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है।
अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल
याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने पिछले दिनों कई बार संबंधित अधिकारियों को लिखित शिकायत भेजी, जिसमें हिंदी भाषा बोलने वाले नागरिकों पर हो रहे हमलों की जानकारी दी गई थी। लेकिन इसके बावजूद राज ठाकरे या उनके समर्थकों के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन की निष्क्रियता ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट का रुख करने को मजबूर किया।
मराठी भाषा के नाम पर हिंसा?
याचिका में 5 जुलाई को हुई ‘विजय रैली’ का उल्लेख किया गया है, जहां कथित तौर पर राज ठाकरे ने मराठी न बोलने वालों की पिटाई को सही ठहराया। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह बयान न केवल गैर-मराठी नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि राज्य में भाषाई विभाजन को बढ़ावा देता है।
राजनीतिक लाभ के लिए भाषाई मुद्दे का इस्तेमाल?
अधिवक्ता उपाध्याय ने आरोप लगाया कि राज ठाकरे आगामी बीएमसी चुनाव में राजनीतिक फायदा उठाने के लिए मराठी बनाम गैर-मराठी का एजेंडा चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र और सामाजिक एकता के लिए खतरा है, और सुप्रीम कोर्ट को इस पर सख्त रुख अपनाना चाहिए।
हालिया घटनाएं और बढ़ती चिंता
मुंबई में भाषा के नाम पर हिंसा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही में एक मनसे नेता के बेटे पर एक महिला इन्फ्लुएंसर से बदसलूकी का आरोप लगा था। उससे पहले, एक दुकानदार को केवल इसलिए पीटा गया क्योंकि वह मराठी भाषा नहीं बोल पा रहा था। हमलावरों ने कथित तौर पर मनसे से जुड़े स्कार्फ पहने हुए थे, जिससे यह साफ होता है कि यह सुनियोजित प्रयास हो सकता है।
कोर्ट से निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग
जनहित याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट राज ठाकरे, उनकी पार्टी और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। साथ ही गैर-मराठी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं।
अब देखना यह है कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या यह याचिका मुंबई की राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में बदलाव लाने का जरिया बन सकती है।

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