
बनारस रेल इंजन कारखाना (बीएलडब्ल्यू) ने भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए शनिवार को 2,500वें इलेक्ट्रिक इंजन का लोकार्पण किया। यह उपलब्धि तकनीकी आत्मनिर्भरता, नवाचार और उत्पादन क्षमता में भारत की बढ़ती ताकत का प्रमाण है।
महाप्रबंधक ने किया लोकार्पण
बीएलडब्ल्यू के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने समारोह के दौरान इस ऐतिहासिक इंजन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह इंजन WAP-7 श्रेणी का 6,000 हॉर्सपावर क्षमता वाला आधुनिक इंजन है, जो अब दक्षिण-पश्चिम रेलवे के कृष्णराजपुरम शेड में सेवा देगा। लोकार्पण समारोह में बीएलडब्ल्यू के अधिकारी, इंजीनियर और कर्मचारी उपस्थित रहे।
महिला भागीदारी का प्रतीक बना कारखाना
कार्यक्रम की एक खास बात यह रही कि इसमें फिटर अनीता देवी और सहायक श्रुति श्रीवास्तव जैसी महिला कर्मचारियों की सक्रिय भूमिका रही। यह भारतीय रेलवे में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और तकनीकी नेतृत्व का प्रतीक है। बीएलडब्ल्यू ने महिलाओं को मुख्य इंजीनियरिंग कार्यों में आगे लाकर एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
तकनीकी रूप से उन्नत इंजन
2,500वां इंजन अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। इसमें रीयल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम, वातानुकूलित ड्राइवर कैब, रीजनरेटिव ब्रेकिंग और 140 किमी/घंटा तक की गति से यात्री व एक्सप्रेस ट्रेनों को खींचने की क्षमता है। इंजन को संशोधित गियर अनुपात के साथ डिजाइन किया गया है जिससे उसकी गति और दक्षता दोनों में वृद्धि हुई है।
तेजी से बढ़ रही उत्पादन क्षमता
बीएलडब्ल्यू की उत्पादन क्षमता तेजी से बढ़ी है। पिछले आठ वर्षों में 2,500 इलेक्ट्रिक इंजन बनाकर उसने नया रिकॉर्ड कायम किया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में ही कारखाने ने 472 इलेक्ट्रिक इंजनों का निर्माण कर डाला, जो इसकी कार्यक्षमता और समयबद्धता का प्रमाण है।
निर्यात में भी बढ़त
बीएलडब्ल्यू केवल घरेलू ज़रूरतों को ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर भी पूरा कर रहा है। हाल ही में मोजाम्बिक द्वारा ऑर्डर किए गए दस AC डीजल-इलेक्ट्रिक इंजनों में से दो को भेजा जा चुका है। यह भारत के रेल उत्पादन को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिला रहा है।
अब तक बना 10,822 इंजन
अपनी स्थापना के बाद से बीएलडब्ल्यू ने कुल 10,822 इंजन बनाए हैं, जिनमें 7,498 डीजल और 2,500 इलेक्ट्रिक इंजन शामिल हैं। यह कारखाना अब रेलवे के डिजिटलीकरण और हरित परिवहन की दिशा में भी अग्रसर है।
बीएलडब्ल्यू की यह उपलब्धि मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और रेलवे आधुनिकीकरण के सपनों को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आने वाले वर्षों में यह कारखाना रेलवे तकनीक और उत्पादन के क्षेत्र में भारत को वैश्विक नेतृत्व दिलाने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।

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