
भारत की प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने 3 अगस्त 2025 को बिहार, झारखंड, उत्तरी छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम में एक दिवसीय बंद का एलान किया है। संगठन ने इस बंद को अपने शीर्ष नेताओं की मौत और सरकार द्वारा कथित “दमनात्मक कार्रवाई” के विरोध में बुलाया है। माओवादियों ने इसके लिए एक विस्तृत पत्र जारी कर अपने समर्थकों से आंदोलन में शामिल होने की अपील की है।
स्मृति सभा से शुरू होकर बंद तक पहुंचेगा विरोध
माओवादी संगठन के पूर्वी रीजनल ब्यूरो द्वारा जारी पत्र में बताया गया है कि 20 जुलाई से 3 अगस्त तक इन राज्यों में स्मृति सभाएं, जनसभा, रैलियां और ग्रुप मीटिंग आयोजित की जाएंगी। इन कार्यक्रमों के जरिए संगठन ने लोगों से पार्टी महासचिव कॉमरेड बसवराज और कॉमरेड विवेक के क्रांतिकारी जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की है।
संगठन ने बंद को सफल बनाने के लिए गांव-गांव में प्रचार अभियान चलाने का निर्देश भी दिया है और कहा है कि बंद केवल एक दिन का नहीं बल्कि विरोध के एक बड़े प्रतीक के तौर पर मनाया जाएगा।
बसवराज की मौत को बताया ‘काला दिन’
पत्र में 21 मई 2025 को हुई बीजापुर (छत्तीसगढ़) की मुठभेड़ का जिक्र करते हुए कहा गया है कि कॉमरेड बसवराज, जिन्हें नवाला केशव राव के नाम से भी जाना जाता था, 60 घंटे तक चले पुलिस ऑपरेशन में शहीद हो गए। बसवराज पार्टी के महासचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य थे।
माओवादी संगठन ने 21 मई को भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का काला दिन करार देते हुए कहा है कि सरकार क्रांतिकारी नेतृत्व को खत्म करने की साजिश कर रही है।
गौरतलब है कि इस मुठभेड़ में कुल 27 नक्सली मारे गए थे, जिनमें बसवराज भी शामिल थे। वह 1.5 करोड़ रुपये के इनामी और आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के निवासी थे। उनकी उम्र लगभग 70 वर्ष थी।
सरकार पर आदिवासियों और ग्रामीणों के दमन का आरोप
माओवादियों ने पत्र में केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह माओवादी नेताओं, समर्थकों और आदिवासी ग्रामीणों पर अत्याचार कर रही है। उनका कहना है कि जंगलों में रहने वाली निर्दोष जनता को भी संघर्ष का शिकार बनाया जा रहा है। बंद का उद्देश्य इसी राजकीय दमन के खिलाफ आवाज उठाना है।
सुरक्षा एजेंसियां सतर्क, संवेदनशील क्षेत्रों में अलर्ट
इस एलान के बाद सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और बंगाल के नक्सल प्रभावित जिलों में संवेदनशील इलाकों की निगरानी बढ़ा दी गई है। रेलवे, सड़क परिवहन और संचार सेवाओं पर बंद का असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
रेलवे बोर्ड ने भी माओवादियों के प्रभाव वाले रूट्स पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के निर्देश दिए हैं, ताकि बंद के दौरान किसी तरह की विघटनकारी गतिविधि न हो।
बढ़ सकती है चुनौती
3 अगस्त को प्रस्तावित बंद से पहले माओवादियों द्वारा की जा रही गतिविधियों को लेकर प्रशासनिक तंत्र में चिंता का माहौल है। जहां एक ओर यह बंद माओवादी संगठन की रणनीतिक लामबंदी का संकेत देता है, वहीं दूसरी ओर सरकार और सुरक्षा बलों के लिए यह आंतरिक सुरक्षा को लेकर एक गंभीर चुनौती बनकर उभर सकता है।
अब यह देखना होगा कि सुरक्षा एजेंसियां किस तरह से इस बंद से निपटती हैं और आम जनता की सुरक्षा व सामान्य जनजीवन को किस हद तक प्रभावित होने से रोका जा सकता है।

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