
बिहार विधानसभा का मानसून सत्र आज (सोमवार) से शुरू हो गया है। यह सत्र खास तौर पर इसलिए अहम है क्योंकि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार का चुनाव से पहले आखिरी सत्र है। विधानसभा सचिवालय के अनुसार, इस बार कुल पांच बैठकें निर्धारित की गई हैं, जो 25 जुलाई (शुक्रवार) तक चलेंगी।
विधानसभा में विधायी कार्य और बजट पेश होगा
पहले दिन राज्य सरकार इस वित्तीय वर्ष का पहला अनुपूरक बजट पेश करेगी। इसके साथ ही राज्यपाल द्वारा अनुमोदित अध्यादेश और विभिन्न समितियों की रिपोर्टें भी सदन में रखी जाएंगी। 22 और 23 जुलाई को राज्य सरकार महत्वपूर्ण विधेयक सदन में प्रस्तुत करेगी, जबकि 24 जुलाई को उन पर चर्चा होगी। सत्र का समापन 25 जुलाई को गैर-सरकारी प्रस्तावों पर बहस के साथ होगा।
12 विधेयकों को लाने की योजना
नीतीश कुमार सरकार की योजना इस सत्र में करीब 12 विधेयकों को सदन में लाने की है। इनमें वित्तीय, प्रशासनिक और जनहित से जुड़े अहम विषयों को शामिल किया गया है। सरकार इस सत्र के जरिए आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अपनी नीतियों और उपलब्धियों को विधायी स्वरूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करेगी।
विपक्ष का आक्रामक रुख और मुद्दे
विपक्षी महागठबंधन इस सत्र में सरकार को कानून-व्यवस्था, बढ़ते अपराध, भ्रष्टाचार और मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण जैसे मुद्दों पर घेरने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्ष का रुख तीखा और हमलावर रहेगा।
जनकल्याण योजनाओं को पेश करेगी सरकार
सत्तारूढ़ एनडीए विपक्ष के सवालों का जवाब देने के लिए अपनी प्रमुख जनकल्याण योजनाओं को सामने लाएगा। इनमें महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण, 1.11 करोड़ लाभार्थियों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी, और घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली जैसी योजनाएं प्रमुख रहेंगी।
तेज प्रताप यादव पर भी टिकी हैं निगाहें
राजनीतिक हलकों में चर्चा का एक बड़ा विषय तेज प्रताप यादव भी हैं, जिन्हें उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने राजद और परिवार दोनों से निष्कासित कर दिया है। हालांकि, तेज प्रताप अब भी विधायक हैं और सदन में उनकी सीट उनके भाई तेजस्वी यादव के ठीक बगल में है। इस सत्र के दौरान यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों भाई वर्षों बाद पहली बार आमने-सामने किस रूप में नजर आते हैं। अभी तक उनकी सीट बदलने को लेकर कोई आधिकारिक सूचना नहीं आई है।
बिहार विधानसभा का यह मानसून सत्र न केवल विधायी कार्यों के लिए, बल्कि आगामी चुनाव की राजनीतिक दिशा तय करने के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। सत्तारूढ़ दल जहां अपनी उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने का प्रयास करेगा, वहीं विपक्ष अपनी रणनीतिक हमलों से सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।

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