
कोलकाता के धर्मतला स्थित एस्प्लेनेड इलाके में सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की वार्षिक ‘शहीद दिवस’ रैली आयोजित की जा रही है। पार्टी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस जनसभा को संबोधित करेंगी। रैली में राज्य भर से लाखों कार्यकर्ताओं और समर्थकों के शामिल होने की संभावना है।
2026 विधानसभा चुनाव से पहले अहम संदेश
इस बार की ‘शहीद दिवस’ रैली खास महत्व रखती है क्योंकि यह 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले की सबसे बड़ी राजनीतिक रैली मानी जा रही है। पार्टी इसे आगामी चुनावों से पहले जनता के बीच अपनी ताकत दिखाने और विपक्षी दलों को संदेश देने का मौका मान रही है।
पिछले लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में मिली सफलता के बाद टीएमसी इस रैली को एक बड़े जनसमर्थन के रूप में पेश कर रही है।
सुरक्षा के सख्त इंतजाम, ट्रैफिक पर असर
कोलकाता पुलिस ने रैली को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। एक्साइड क्रॉसिंग से श्यामबाजार तक लगभग 5,500 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। भीड़ को नियंत्रित करने और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए ड्रोन कैमरों और निगरानी दस्तों की मदद ली जा रही है।
रैली के चलते शहर की यातायात व्यवस्था प्रभावित हुई है। कई प्रमुख सड़कों पर ट्रैफिक डायवर्जन लागू किया गया है। कुछ स्कूलों ने आज ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन कर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की है।
भाजपा पर निशाना साधने के संकेत
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस जनसभा के मंच से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोल सकती हैं। खासकर बंगाल के प्रवासियों के कथित उत्पीड़न, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग और जनविरोधी नीतियों को लेकर वे भाजपा को कठघरे में खड़ा कर सकती हैं।
1993 की घटना की याद में ‘शहीद दिवस’
टीएमसी हर साल 21 जुलाई को ‘शहीद दिवस’ मनाती है। यह दिन 1993 में उस समय हुई दुखद घटना की याद दिलाता है, जब कोलकाता में ममता बनर्जी की अगुवाई में निकाली गई एक रैली पर पुलिस ने गोलीबारी की थी। उस समय ममता बनर्जी युवा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष थीं।
रैली मतदाता पहचान पत्र को मतदान के लिए अनिवार्य बनाने की मांग को लेकर थी। पुलिस फायरिंग में 13 युवा कार्यकर्ताओं की जान गई थी। इस घटना ने ममता बनर्जी की छवि एक संघर्षशील नेता के रूप में स्थापित कर दी और इसी आधार पर 1998 में उन्होंने टीएमसी की स्थापना की।
राजनीतिक संकेतों से भरपूर मंच
यह रैली न सिर्फ अतीत के बलिदानों को याद करने का अवसर है, बल्कि आने वाले चुनावों की रणनीति, पार्टी की ताकत और ममता बनर्जी की केंद्र सरकार के खिलाफ राजनीतिक लाइन तय करने का भी मंच बन गई है। टीएमसी इसे अपनी एकजुटता और जनसमर्थन का प्रदर्शन मान रही है, जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने की उम्मीद की जा रही है।

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