
शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह केवल एक औपचारिक घटना नहीं है, बल्कि एक गंभीर राजनीतिक घटना है जिसकी पारदर्शिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि “उपराष्ट्रपति का इस्तीफा मानसून सत्र के पहले दिन हुआ, यह संयोग मात्र नहीं हो सकता। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि इसके पीछे कारण क्या हैं।”
सरकार और प्रधानमंत्री से मांगा जवाब
आदित्य ठाकरे ने मीडिया से बातचीत के दौरान मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्र सरकार को जनता के सामने आकर उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को लेकर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि “हम उपराष्ट्रपति के स्वास्थ्य या व्यक्तिगत निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन जिस तरह से यह इस्तीफा अचानक सामने आया, वह कई सवाल खड़े करता है।”
बिहार चुनाव से जोड़ते हुए उठाया संदेह
ठाकरे ने संकेत दिया कि यह इस्तीफा केवल व्यक्तिगत कारणों से नहीं हो सकता, बल्कि इसके पीछे कोई राजनीतिक रणनीति भी हो सकती है। उन्होंने पूछा, “क्या बिहार विधानसभा चुनाव से इसका कोई संबंध है? क्या यह किसी नई राजनीतिक नियुक्ति की तैयारी का हिस्सा है?” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा, इस पर भी पारदर्शिता होनी चाहिए।
कृषि मंत्री पर साधा निशाना
महाराष्ट्र में किसान आत्महत्याओं को लेकर आदित्य ठाकरे ने राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि “राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे जब विधानसभा में रमी खेलते नजर आए, तब यह साफ हो गया कि सरकार किसानों की समस्याओं को लेकर कितनी असंवेदनशील है।” उन्होंने आरोप लगाया कि जब पूरे राज्य में 700 से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं, उस समय सरकार का यह रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

मराठी भाषा के सम्मान की मांग
घाटकोपर में एक महिला के साथ मराठी न बोलने के कारण हुए दुर्व्यवहार पर बोलते हुए आदित्य ठाकरे ने स्पष्ट किया कि “हमें हिंदी से कोई दिक्कत नहीं है। कोई भी व्यक्ति किसी भी भाषा में बात कर सकता है, लेकिन मराठी हमारी मातृभाषा है और उसका सम्मान होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि मराठी भाषा को नजरअंदाज करना किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।
राजनीतिक शिष्टाचार का परिचय
अपनी बयानबाजी के बीच आदित्य ठाकरे ने राजनीति में शिष्टाचार भी दिखाया। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को उनके जन्मदिन (22 जुलाई) की शुभकामनाएं दीं।
आदित्य ठाकरे के इन बयानों से यह स्पष्ट है कि वे उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को लेकर सरकार से पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं, वहीं राज्य की किसानों से जुड़ी समस्याओं और सांस्कृतिक अस्मिता के मुद्दों पर भी मुखर हैं। आने वाले समय में यह मुद्दे महाराष्ट्र और केंद्र की राजनीति में चर्चा का विषय बन सकते हैं।

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