
उत्तर प्रदेश कांग्रेस में संगठनात्मक मजबूती की कवायद के बीच ब्लॉक स्तर पर लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैये ने नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। हाल ही में हुई प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की बैठकों में करीब 20 जिलों के 100 से ज्यादा ब्लॉक अध्यक्ष अनुपस्थित पाए गए, जिससे पार्टी की जिला व ब्लॉक इकाई की कार्यक्षमता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
संगठन पर गंभीर नहीं नए ब्लॉक अध्यक्ष
हाल में बने ब्लॉक अध्यक्षों को लेकर पार्टी ने काफी उम्मीदें जताई थीं। इनका चयन जिला अध्यक्षों की सिफारिश पर किया गया था, लेकिन बैठकों से गायब रहने के चलते इनकी निष्ठा और संजीदगी पर सवाल उठने लगे हैं। प्रदेश नेतृत्व ने इस पर नाराजगी जताई और जिला अध्यक्षों से जवाब तलब किया गया है।
जवाब में बहाने, फिर सिफारिशें
कई जिला अध्यक्षों ने ब्लॉक अध्यक्षों की अनुपस्थिति पर स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियों और दूरी जैसे कारण गिनाए, लेकिन ज्यादातर नेताओं ने इन पदाधिकारियों को हटाने की सिफारिश कर दी है। ऐसे में पार्टी ने डिफॉल्टर ब्लॉक अध्यक्षों को बदलने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
पूरी ओवरहॉलिंग की तैयारी
यूपी कांग्रेस फिलहाल एक संगठनात्मक ओवरहॉलिंग के दौर से गुजर रही है। ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति इस रणनीति का अहम हिस्सा थी, क्योंकि कांग्रेस का मानना है कि विधानसभा चुनावों की लड़ाई ब्लॉक स्तर पर तय होती है। यही वजह है कि पार्टी ने ब्लॉक अध्यक्षों को जिम्मेदार और जमीनी नेता बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन बैठकों से अनुपस्थिति ने पार्टी की तैयारियों पर पानी फेर दिया।
कंट्रोल रूम से की जा रही निगरानी
प्रदेश कार्यालय के कंट्रोल रूम से जिलों को पत्र भेजे गए हैं, जिसमें पूछा गया है कि कौन-कौन ब्लॉक अध्यक्ष बैठक में क्यों नहीं पहुंचे। अब इनके आकलन के आधार पर बदलाव किए जा रहे हैं। संगठन में यह स्पष्ट संकेत है कि पार्टी अनुशासन और सक्रियता को लेकर अब किसी भी स्तर पर ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगी।
ब्लॉक अध्यक्ष होंगे केंद्रीय नेतृत्व से सीधे जुड़े
सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व ने यह तय किया है कि अब से हर ब्लॉक अध्यक्ष सीधे केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में रहेगा। इन्हें दिल्ली से सीधे निर्देश दिए जाएंगे और साप्ताहिक या मासिक रिपोर्ट ली जाएगी। यह प्रयोग यूपीए-2 सरकार के समय भी किया गया था, जब तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश के ब्लॉक अध्यक्षों से सीधा संवाद किया था। उसके बाद पहली बार पार्टी फिर से इस फॉर्मूले पर लौट रही है, ताकि जमीनी संगठन को प्रभावी और उत्तरदायी बनाया जा सके।
कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में 2024 के बाद की सियासी जमीन तैयार करने में जुटी है, लेकिन ब्लॉक स्तर की निष्क्रियता उसकी कोशिशों को पलीता लगा सकती है। ऐसे में अब पार्टी ने संगठन में अनुशासन और सक्रिय भागीदारी को प्राथमिकता देते हुए कड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। आने वाले हफ्तों में कई ब्लॉक अध्यक्षों की बदली या बर्खास्तगी तय मानी जा रही है।

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