
मालेगांव बम धमाके मामले में एक अहम गवाह मिलिंद जोशीराव ने दावा किया है कि एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) के अधिकारियों ने उनसे जबरन बयान बदलवाने की कोशिश की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच अधिकारियों ने उन्हें धमकाते हुए कहा था कि अगर वे योगी आदित्यनाथ, इंद्रेश कुमार, साध्वी प्रज्ञा, काका जी, असीमानंद और प्रो. देवधर जैसे नामों को ब्लास्ट केस से जोड़ देंगे, तो उन्हें “निश्चित रूप से छोड़ दिया जाएगा।”
गवाह का दावा: मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना
जोशीराव के अनुसार, उन्हें 7 दिनों तक हिरासत में रखा गया, जहां लगातार मानसिक दबाव और शारीरिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि ATS के अधिकारी उनसे कह रहे थे कि अगर तुम योगी आदित्यनाथ का भी नाम लो, तो हम तुम्हें छोड़ देंगे। बस कुछ नाम बोल दो, बाकी हम संभाल लेंगे।
गवाह ने यह भी कहा कि उनसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े लोगों को फंसाने की कोशिश की गई, जिसमें शीर्ष नेताओं के नाम भी शामिल थे।
रायगढ़ मीटिंग और पुलिस अधिकारियों पर आरोप
मालगांव केस की चर्चित ‘रायगढ़ मीटिंग’ को लेकर जोशीराव ने स्पष्ट किया कि उन्हें ऐसी किसी मीटिंग की जानकारी नहीं है, जहां हिंदू राष्ट्र बनाने की शपथ ली गई हो। उन्होंने दावा किया कि डीसीपी श्रीराव और एसीपी परमबीर सिंह जैसे वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें धमकाया और फर्जी बयान दिलवाने का दबाव डाला।
जोशीराव ने कहा कि- “ATS ने जो कुछ भी अपने बयान में लिखा है, वह मेरी बात नहीं, बल्कि उनकी बनाई हुई स्क्रिप्ट है।”
17 साल बाद न्यायपालिका की टिप्पणी: सबूत नाकाफी
इस सनसनीखेज बयान के ठीक एक दिन पहले, 31 जुलाई 2025 को एनआईए की विशेष अदालत ने इस मामले में सभी सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा:—
- एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में भारी विरोधाभास है।
- अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बम मोटरसाइकिल में रखा गया था।
- आरोपी प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं था कि उन्होंने बम बनाया या आपूर्ति की।
- घटना के बाद फॉरेंसिक जांच सही तरीके से नहीं हुई, फिंगरप्रिंट नहीं लिए गए, और चेसिस नंबर कभी रिकवर नहीं किया गया। साध्वी प्रज्ञा का नाम भी सवालों के घेरे में
चार्जशीट में जिस बाइक का जिक्र किया गया, उसे साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से जोड़ा गया था, लेकिन अदालत ने यह भी कहा कि यह सिद्ध नहीं हो पाया कि बाइक वास्तव में उन्हीं की थी।
क्या अब ATS पर हो सकती है जांच
गवाह के बयान ने अब ATS की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर कोर्ट इसे संज्ञान में लेती है, तो जांच एजेंसी की कार्यशैली और निष्पक्षता को लेकर सुप्रीम कोर्ट या एनआईए द्वारा स्वतंत्र जांच की मांग हो सकती है।

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