
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। गुरुग्राम के शिकोहपुर लैंड डील से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट पर संज्ञान लेने से पहले दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने वाड्रा समेत 11 लोगों को नोटिस जारी किया है।
क्या है मामला?
यह मामला वर्ष 2008 में गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन की खरीद से जुड़ा है, जिसे वाड्रा की कंपनियों द्वारा कथित रूप से गलत घोषणापत्र और अवैध तरीकों से खरीदा गया था।
ईडी का दावा है कि इस जमीन सौदे में काले धन का प्रयोग हुआ और लेन-देन की पूरी प्रक्रिया को कंपनी नेटवर्क के जरिए वैध रूप देने की कोशिश की गई। इस मामले में ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत चार्जशीट दाखिल की है।
कोर्ट की टिप्पणी और अगली सुनवाई
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि चार्जशीट पर सीधा संज्ञान लेने से पहले सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी।
इस संबंध में अगली सुनवाई 28 अगस्त 2025 को होगी, जहां रॉबर्ट वाड्रा की ओर से कानूनी पक्ष अदालत में रखा जाएगा।
इससे पहले 18 जुलाई को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी की रिपोर्ट पर प्राथमिक तौर पर संज्ञान लिया था और पीठासीन विशेष न्यायाधीश सुशांत चंगोत्रा ने दस्तावेजों की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।
ईडी ने जांच के आधार पर आरोप लगाया है कि:—
- वाड्रा की कंपनियों ने शेल कंपनियों और फ्रंट फर्म्स के जरिए यह सौदा किया।
- मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए पैसे को वैध दिखाया गया।
- इस मामले में अब तक ₹37.64 करोड़ मूल्य की 43 संपत्तियाँ अटैच की जा चुकी हैं।
डील की डिटेल: कैसे बना विवाद?
साल 2008 में स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज़ प्रा. लि. से 7.5 करोड़ में जमीन खरीदी। सिर्फ चार साल बाद, 2012 में वही जमीन डीएलएफ लिमिटेड को 58 करोड़ रुपए में बेच दी गई। इस भारी मुनाफे और प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठे।
पृष्ठभूमि और FIR
यह मामला गुरुग्राम पुलिस की ओर से 2008 में दर्ज की गई एक प्राथमिकी पर आधारित है। FIR में वाड्रा की कंपनी पर आरोप था कि उन्होंने जमीन खरीद में गलत घोषणापत्र का इस्तेमाल किया। इसके बाद यह मामला ईडी को ट्रांसफर किया गया।
यह मामला वर्षों से राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना हुआ है। रॉबर्ट वाड्रा पहले भी कई बार इस केस में पूछताछ का सामना कर चुके हैं। हालांकि, उन्होंने बार-बार किसी भी अवैध गतिविधि से इनकार किया है और जांच को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। अब कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वाड्रा पक्ष अदालत में क्या तर्क रखता है और अदालत चार्जशीट पर क्या रुख अपनाती है।

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