
लोकसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची में कथित हेरफेर का मुद्दा गरमाता जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा वोट चोरी के आरोप उठाए जाने के बाद अब कई विपक्षी नेता खुलकर उनके समर्थन में आ गए हैं। राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू आजमी ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए मामले की गहन जांच की मांग की है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है और यह राज्य “जंगलराज” में तब्दील हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि माफिया और अपराधी पूरे प्रदेश में सक्रिय हैं, जिससे सवर्ण, ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक युवाओं की हत्याएं और बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं। मौर्य के मुताबिक, यह सब “सुनियोजित तरीके” से हो रहा है।
उन्होंने भाजपा सरकार की अंदरूनी स्थिति का भी जिक्र किया और कहा कि कई मंत्री अपनी ही सरकार में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। नगर विकास और ऊर्जा मंत्री समेत कई को विभागीय मुद्दों पर धरने तक बैठना पड़ा, जो सरकार की अस्थिरता का संकेत है।
मौर्य ने मतदाता सूची में कथित हेरफेर पर चिंता जताते हुए कहा कि बिना सहमति के किसी का नाम काटना या मनमाने ढंग से जोड़ना, मताधिकार छीनने की साजिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष अपनी सुविधा के अनुसार नाम जोड़ने और हटाने का काम करता है। बेंगलुरु में फर्जी वोटिंग के उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने पूछा कि अगर पिछले दस वर्षों से भाजपा सत्ता में है, तो इन गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार कौन है।
उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की कि वह “सत्ता पक्ष का गुलाम” बनने के बजाय देश के नागरिकों के प्रति जवाबदेह बने। मौर्य ने मांग की कि अगर गड़बड़ी साबित हो, तो जिला निर्वाचन अधिकारी, एसडीएम, तहसीलदार और बूथ स्तर के कर्मचारियों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके।
इसी मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने भी राहुल गांधी के आरोपों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मामला गंभीर है और तत्काल जांच होनी चाहिए। अपने क्षेत्र का उदाहरण देते हुए आजमी ने बताया कि मानखुर्द शिवाजी नगर में छह महीने पहले वोट देने वाले सैकड़ों लोगों के नाम सूची से हटा दिए गए, और उनकी जगह बाहरी लोगों के नाम जोड़ दिए गए। उनका आरोप है कि सत्ता पक्ष चुनाव आयोग को अपने इशारे पर चला रहा है, जिससे लोकतंत्र खतरे में है।
आजमी ने सभी राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि चुनावी ईमानदारी पर हमला, लोकतंत्र की जड़ें खोखली कर देता है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
सिर्फ मतदाता सूची ही नहीं, आजमी ने धार्मिक भावनाओं के अपमान पर भी सख्त कानून की मांग की। उन्होंने उदयपुर में दर्जी की हत्या और नूपुर शर्मा के विवादित बयान का जिक्र करते हुए कहा कि किसी भी धर्म, धार्मिक ग्रंथ, या ऐतिहासिक व्यक्तित्व के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वालों को कम से कम दस साल की सजा होनी चाहिए। उन्होंने अपने निजी विधेयक का हवाला देकर सरकार से इस तरह का कानून लाने की अपील की।
अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी टिप्पणी करते हुए आजमी ने अमेरिका और इजरायल की नीतियों की आलोचना की और कहा कि भारत को पड़ोसी देशों—बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, श्रीलंका और नेपाल—के साथ बेहतर संबंध बनाने चाहिए। उन्होंने डॉ. लोहिया के विचारों का हवाला देते हुए क्षेत्रीय महासंघ बनाने की वकालत की, ताकि अमेरिका की “दादागिरी” को चुनौती दी जा सके।
राहुल गांधी के दावों पर विपक्षी नेताओं का यह समर्थन, चुनाव से पहले मतदाता सूची की पारदर्शिता और चुनाव आयोग की भूमिका पर बहस को और तेज कर सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आयोग इन आरोपों पर क्या कदम उठाता है, क्योंकि विपक्ष ने साफ कर दिया है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में संसद से सड़क तक गूंजेगा।

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