
नागालैंड के राज्यपाल और वरिष्ठ भाजपा नेता एल गणेशन का शुक्रवार शाम चेन्नई के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया। 80 वर्षीय गणेशन लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की खबर से राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत तमाम नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके योगदान को याद किया।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया गहरा दुख
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक्स पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “नागालैंड के राज्यपाल एल गणेशन के निधन से दुखी हूं। उन्होंने राज्यसभा सदस्य और मणिपुर व पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया। अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने जनकल्याण के लिए कार्य किया। तमिलनाडु और देश के विकास में उनके योगदान को सदैव याद रखा जाएगा।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एल गणेशन को एक समर्पित राष्ट्रवादी के रूप में सदैव याद किया जाएगा। पीएम मोदी ने लिखा, “उन्होंने तमिलनाडु में भाजपा का विस्तार करने के लिए कड़ी मेहनत की। तमिल संस्कृति के प्रति उनका गहरा लगाव था। उनके निधन से गहरा दुख हुआ। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।”
केंद्रीय मंत्रियों ने भी व्यक्त किया शोक
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें “आपातकाल के समय राष्ट्र के लिए बहुमूल्य योगदान देने वाला नेता” बताते हुए कहा कि गणेशन ने पार्टी विस्तार और विचारधारा के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें “अथक परिश्रमी नेता” बताया, जिन्होंने जनकल्याण और संगठन दोनों को समान रूप से आगे बढ़ाया। वहीं, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लिखा कि गणेशन ने अपना जीवन राष्ट्र निर्माण और भाजपा को मजबूत करने के लिए समर्पित किया।
आरएसएस से शुरू हुआ सफर
1945 में तमिलनाडु के तंजावुर जिले में जन्मे एल गणेशन का राजनीतिक सफर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से शुरू हुआ। संगठनात्मक क्षमता और जनसंपर्क कौशल के कारण वे जल्दी ही भाजपा में सक्रिय हुए। वे प्रदेश संगठन महासचिव, प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उनके नेतृत्व में भाजपा ने तमिलनाडु में संगठनात्मक मजबूती हासिल की।
भाजपा में निभाई अहम भूमिका
तमिलनाडु जैसे कठिन राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा का विस्तार करना आसान नहीं था, लेकिन गणेशन ने लगातार मेहनत और संवाद की राजनीति से संगठन को आधार देने का काम किया। वे प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कई बार जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को जोड़े रहे। पार्टी के अंदर उन्हें अनुशासनप्रिय, कर्मठ और ईमानदार नेता माना जाता था। उनकी छवि “संगठन को परिवार की तरह चलाने वाले नेता” की रही।
संसदीय और संवैधानिक भूमिकाएं
गणेशन ने राज्यसभा में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया और संसद में अपनी स्पष्टवादिता और विषयों की गहरी समझ के लिए पहचाने गए। बाद में उन्हें मणिपुर और पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। दोनों राज्यों में उन्होंने प्रशासनिक अनुभव और जनता से जुड़ाव के जरिए सराहनीय भूमिका निभाई। 2021 में वे नागालैंड के राज्यपाल बने और अपने कार्यकाल के दौरान लगातार पूर्वोत्तर के विकास और शांति के लिए प्रयासरत रहे।
आपातकाल के दौर का योगदान
आपातकाल (1975-77) के दौरान एल गणेशन लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए सक्रिय रहे। उस समय उन्होंने जनसंघ और भाजपा कार्यकर्ताओं को संगठित करने का काम किया। इस दौर में उनका संघर्ष उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाला साबित हुआ।
हमेशा याद किया जाएगा योगदान
एल गणेशन का राजनीतिक जीवन सादगी, सेवा और समर्पण का प्रतीक रहा। तमिलनाडु से लेकर पूर्वोत्तर तक, उन्होंने अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक यात्रा में जनता के हितों को सर्वोपरि रखा। भाजपा को तमिलनाडु में मजबूत करने से लेकर संवैधानिक पदों पर गरिमा बनाए रखने तक उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
उनके निधन से पैदा हुआ शून्य केवल भाजपा ही नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति के लिए भी बड़ी क्षति है। राष्ट्र सेवा को समर्पित एल गणेशन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।

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