
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा शुरू की जाने वाली ‘वोटर अधिकार यात्रा’ पर केंद्रीय मंत्री और ‘हम’ पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने विपक्ष पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग ‘पत्थर पर सिर मारने’ जैसा काम कर रहे हैं।
मीडिया से बातचीत करते हुए मांझी ने कहा, “तालाब में अगर पानी बहुत दिनों तक इकट्ठा हो जाए तो वह गंदा हो जाता है।” इसी तरह, अगर कोई व्यक्ति मर गया है या राज्य छोड़कर चला गया है, तो मतदाता सूची को अपडेट करना आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नई सूची बनाना सबके हित में है। मांझी ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जो लोग मतदाता सूची में गलत नामों का फायदा उठाना चाहते हैं, वही चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से दिए गए भाषण का हवाला भी दिया, जिसमें पीएम ने कहा था कि बाहर के लोग आकर हमारी बेटियों और बहुओं का हक मार रहे हैं। मांझी ने कहा कि इसी वजह से एसआईआर की प्रक्रिया बहुत जरूरी है।
मांझी ने साफ शब्दों में कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ कर रहा है, जो कि भारत जैसे देश में नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है, लेकिन जनता सब समझती है।
चिराग पासवान को सलाह और ‘खून-पानी’ पर बयान
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इस दौरान लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और अपने सहयोगी मंत्री चिराग पासवान को लेकर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि चिराग पासवान एक “बड़े आदमी” हैं और वह उन्हें सिर्फ एक ही सलाह देना चाहते हैं कि उन्हें एनडीए में रहकर ही अपना भविष्य देखना चाहिए, वरना वे “गर्दिश में पड़ जाएंगे।” मांझी का यह बयान सियासी गलियारों में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि एनडीए के भीतर छोटे दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अक्सर खींचतान की खबरें आती रहती हैं।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “खून और पानी साथ नहीं बहेगा” वाले बयान का भी मांझी ने समर्थन किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का यह बयान बिल्कुल सही है। उन्होंने तर्क दिया, “जब दोस्ती थी, तो हमने उन्हें पानी दिया, लेकिन अब जब वे इसे अलग तरह से देखते हैं, तो हम उन्हें पानी क्यों दें?” मांझी ने कहा कि यह बात हर भारतवासी को सोचनी चाहिए।
जीतन राम मांझी के इन बयानों से यह स्पष्ट है कि बिहार में आने वाले चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर विपक्ष की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ और सत्ता पक्ष के तीखे जवाबी हमले, दोनों ही बिहार की राजनीति को और भी गरमा रहे हैं।

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