
आम आदमी पार्टी (आप) ने गुजरात में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने आगामी पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की। पार्टी के इस ऐलान को राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए एक सीधी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। ‘आप’ का दावा है कि उसे 10,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें बड़ी संख्या युवाओं की है, जो गुजरात की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
इसुदान गढ़वी ने कहा, “दिन-प्रतिदिन आम आदमी पार्टी का कारवां बढ़ता जा रहा है। गुजरात में बड़ा बदलाव आने वाला है, क्योंकि युवा वर्ग राजनीति में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। हम युवाओं को विशेष प्राथमिकता देंगे जो गुजरात को भाजपा के कुशासन से मुक्त कराने और जनता की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” उन्होंने कहा कि पार्टी का लक्ष्य एक जन-केंद्रित राजनीति की शुरुआत करना है, जो समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चले। इसके लिए ‘आप’ ने विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक नेताओं को भी चुनाव मैदान में उतारने की योजना बनाई है।
भाजपा पर सीधा हमला
‘आप’ ने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत ही भाजपा पर तीखा हमला बोलकर की है। गढ़वी ने आरोप लगाया कि भाजपा के 27 साल के शासन में गुजरात कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है और उद्योगपतियों को औने-पौने दामों पर जमीनें आवंटित की जा रही हैं। उन्होंने भाजपा सरकार को भ्रष्टाचार में डूबी हुई सरकार बताया। ‘आप’ के इन आरोपों से साफ है कि आगामी चुनाव में भ्रष्टाचार और कुशासन प्रमुख मुद्दे होंगे। पार्टी इन मुद्दों को उठाकर जनता का समर्थन हासिल करने की कोशिश करेगी।
सभी वर्गों को मिलेगा मौका
‘आप’ ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह गुजरात के सभी समुदायों को चुनाव लड़ने का समान अवसर प्रदान करेगी। गढ़वी ने कहा, “हमारा मानना है कि सकारात्मक परिवर्तन तभी संभव है, जब समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व हो।” उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों के चयन में सामाजिक सेवा का रिकॉर्ड और जनता के बीच लोकप्रियता को प्राथमिकता दी जाएगी। ‘आप’ उन लोगों को मौका देना चाहती है जो समाज के लिए पहले से काम कर रहे हैं और जिन्हें जनता का विश्वास प्राप्त है।
रणनीति और चुनौतियां
‘आप’ की यह रणनीति काफी हद तक दिल्ली और पंजाब में उसकी सफलता पर आधारित है, जहां उसने जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं और सामाजिक नेताओं को मौका दिया। गुजरात में भी पार्टी इसी मॉडल को दोहराने की कोशिश कर रही है। हालांकि, गुजरात में ‘आप’ को भाजपा जैसे मजबूत और संगठित संगठन का सामना करना पड़ेगा, जिसका राज्य में दशकों से वर्चस्व रहा है। ‘आप’ के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने उम्मीदवारों को जमीनी स्तर पर मतदाताओं के बीच मजबूत पकड़ बनाने और भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की होगी।
कुल मिलाकर, ‘आप’ का गुजरात में स्थानीय चुनाव लड़ने का ऐलान राज्य की राजनीतिक तस्वीर में एक नया रंग भर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ‘आप’ अपनी जन-केंद्रित राजनीति और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के मुद्दे पर गुजरात की जनता का दिल जीत पाती है या नहीं। यह चुनाव न केवल ‘आप’ के लिए एक बड़ा इम्तिहान होगा, बल्कि भाजपा के लिए भी एक चुनौती पेश करेगा, जिसे अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

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