
उपराष्ट्रपति चुनाव की लड़ाई अब केवल दो उम्मीदवारों के बीच का मुकाबला नहीं, बल्कि एक ‘वैचारिक संघर्ष’ बन गई है। बुधवार को, ‘इंडिया अलायंस’ के नेताओं ने अपने उम्मीदवार, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी, के सम्मान में एक अभिनंदन समारोह आयोजित किया। इस समारोह में विपक्षी दलों ने रेड्डी की उम्मीदवारी को भारतीय लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया।
खड़गे ने ‘संविधान’ और ‘लोकतंत्र’ को बनाया चुनावी मुद्दा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए अपनी बात रखी। उन्होंने बी. सुदर्शन रेड्डी को न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए सराहा। खड़गे ने कहा, “यह उपराष्ट्रपति चुनाव केवल एक पद के लिए नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्र की आत्मा के लिए वैचारिक संघर्ष है। जहां सत्तारूढ़ दल ने आरएसएस की विचारधारा को चुना है, वहीं हम संविधान और उसके मूल्यों को अपना मार्गदर्शक मानते हैं।”
खड़गे ने रेड्डी को उन ‘शाश्वत मूल्यों का प्रतीक’ बताया, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को गति दी और जो संविधान की नींव हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब लोकतांत्रिक संस्थानों की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं, रेड्डी की उम्मीदवारी राज्यसभा में निष्पक्षता, ईमानदारी और गरिमा को पुनर्स्थापित करने की एक प्रतिबद्धता है।
सरकार पर लगाया ‘लोकतंत्र को कमजोर करने’ का आरोप
खड़गे ने इस मौके का इस्तेमाल मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए भी किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 11 सालों में सत्तापक्ष विपक्ष के साथ भारी भेदभाव कर रहा है और खुद संसदीय कार्यों में बाधा डालता है। उन्होंने कहा, “बहुमत का दुरुपयोग कर जन-विरोधी कानून पारित करने का काम तब भी जारी है, जबकि यह अल्पमत की सरकार है।”

खड़गे ने मानसून सत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे मोदी सरकार ने बिना विपक्ष की भागीदारी के मनमाने तरीके से जल्दबाजी में बिलों को पारित किया। उन्होंने राज्यसभा के सभापति की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “विपक्षी सांसदों को बोलने न देना, उन्हें बिना कारण निलंबित कर देना, भारतीय संसद के लिए काला अध्याय साबित हुआ।”
‘संसद की गरिमा’ वापस लाने की अपील
खड़गे ने कहा कि उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है और डॉ. एस. राधाकृष्णन के समय से चली आ रही परंपराएं अब टूट रही हैं, जिसमें विपक्ष को उचित सम्मान मिलता था। उन्होंने कहा, “वे सारी परंपराएं अब खंडित हो रही हैं।”
उन्होंने सभी सांसदों से अपील की कि वे संविधान, संसद और लोकतंत्र की उच्चतम मर्यादाओं को फिर से स्थापित करने के लिए बी. सुदर्शन रेड्डी को समर्थन देकर निर्वाचित करें। उन्होंने कहा कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की विश्वसनीयता इस बात पर निर्भर करती है कि संसद एक मजबूत मंच के रूप में कार्य करे, जहां सांसद स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से लोगों की समस्याओं को व्यक्त करें।
‘इंडिया अलायंस’ की यह रणनीति साफ है कि वह उपराष्ट्रपति चुनाव को केवल एक पद के लिए नहीं, बल्कि ‘संविधान बनाम विचारधारा’ की लड़ाई के रूप में पेश करना चाहती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए और ‘इंडिया अलायंस’ के बीच इस वैचारिक मुकाबले का क्या परिणाम निकलता है और क्या खड़गे की अपील का सांसदों पर कोई असर होता है।

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