
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव इस समय ‘इंडिया’ गठबंधन को मजबूत करने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी स्थिति को भी मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर विपक्षी नेताओं को लामबंद करने के लिए, अखिलेश यादव ने बिहार जाने का फैसला किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम न सिर्फ राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष के तौर पर उनकी जगह को मजबूत करेगा, बल्कि 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों के लिए भी जमीन तैयार करेगा।
राष्ट्रीय अभियान के बहाने यूपी पर फोकस
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव के अनुसार, अखिलेश यादव ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं। वे किसी भी ऐसे काम से बचना चाहते हैं जिससे चुनाव के समय सीटों के बंटवारे में दिक्कत आए। उनका बिहार दौरा इसी रणनीति का हिस्सा है। वे बिहार में कांग्रेस को समर्थन देकर यह संदेश दे रहे हैं कि जब यूपी में सपा मजबूत है, तो उनकी अपेक्षा है कि कांग्रेस भी उनका सहयोग करे।
एक अन्य विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि संसद सत्र के दौरान विपक्षी एकता को देखते हुए, अखिलेश यादव का ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में शामिल होना उसी लय को बरकरार रखने का प्रयास है। बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ उनकी तिकड़ी एन.डी.ए. के लिए एक नई चुनौती पेश कर सकती है।
‘वोटर अधिकार यात्रा’ में अखिलेश की भागीदारी
बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई थी और विभिन्न जिलों से होते हुए आगे बढ़ रही है। अखिलेश यादव का इस यात्रा में शामिल होना ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वह 28 अगस्त को बिहार के सीतामढ़ी में इस यात्रा से जुड़ेंगे।
सपा प्रवक्ता डॉ. आशुतोष वर्मा ने कहा कि ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को सबसे पहले सपा ने ही उठाया था और 18,000 से अधिक शपथ पत्र दिए थे। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव का बिहार दौरा लोकतंत्र और ‘इंडिया’ गठबंधन को मजबूत करने के लिए है। उनका आरोप है कि भाजपा ने “सिस्टम को हाईजैक” कर लिया है, जिससे वे चुनाव जीत रहे हैं, जबकि जनता में उनके प्रति रोष है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुधांशु बाजपेई ने कहा कि सपा ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा है और यह लड़ाई अकेले नहीं लड़ी जा सकती। इसलिए अखिलेश यादव का इस अभियान में शामिल होना इस लड़ाई को और मजबूत करेगा।
यह स्पष्ट है कि अखिलेश यादव एक तीर से दो निशाने साध रहे हैं। एक ओर, वे ‘इंडिया’ गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं, और दूसरी ओर, वे ‘वोट चोरी’ जैसे बड़े मुद्दे को उठाकर यूपी के मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह रणनीति सपा को 2027 के चुनावों में एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश कर सकती है।

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