
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने जनप्रतिनिधियों को महत्वपूर्ण सलाह देते हुए कहा है कि उन्हें केवल चुनाव जीतने के लक्ष्य से काम नहीं करना चाहिए, बल्कि जनता ने उन पर जो भरोसा जताया है, उसका सम्मान करते हुए उसे पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति का उद्देश्य समाज को कुछ देना होना चाहिए, न कि उससे कुछ लेना।
लोकतंत्र की जननी है भारत
दिल्ली विधानसभा में आयोजित अखिल भारतीय स्पीकर सम्मेलन के दूसरे दिन अपने संबोधन में महाना ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारियां स्वयं निभानी होती हैं। उन्होंने जोर दिया कि भारत सिर्फ एक भौगोलिक सीमा नहीं है, बल्कि यह एक विचार और चेतना है, जिसने मानव समाज को शासन, न्याय और सामाजिक समरसता के सर्वोच्च आदर्श दिए हैं। महाना ने कहा कि जब दुनिया के कई हिस्सों में केवल राजतंत्र और जनजातीय शासन प्रचलित था, तब भारत में सामाजिक विमर्श और संवाद की परंपरा विकसित हो चुकी थी, यही कारण है कि भारत को लोकतंत्र की जननी माना जाता है।
सम्मेलन का उद्देश्य और महत्व
यह सम्मेलन केंद्रीय विधानसभा के प्रथम भारतीय अध्यक्ष विट्ठलभाई पटेल के निर्वाचन की शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। महाना ने इस तरह के सम्मेलनों को बहुत उपयोगी बताया और कहा कि इनसे आदर्श, साहस, ऊर्जा और समर्पण की प्रेरणा मिलती है, जो एक मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए आवश्यक है।
सम्मेलन का उद्घाटन 24 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया था, जबकि समापन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के संबोधन से हुआ। दो दिवसीय इस सम्मेलन में देश की 29 विधानसभाओं के अध्यक्ष, 6 विधान परिषदों के सभापति और उपसभापति, राज्यसभा के सभापति और केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई सदस्य शामिल हुए।
मुख्य सत्रों में चर्चा
सम्मेलन के दौरान चार विषयगत सत्र आयोजित हुए।
प्रारंभिक सत्र: पहला सत्र ‘विट्ठलभाई पटेल: भारत के संविधान और विधायी संस्थाओं को आकार देने में उनकी भूमिका’ विषय पर था, जिसे पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने संबोधित किया। उन्होंने पटेल के योगदान पर प्रकाश डाला, जिन्होंने विधायी संस्थाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मुख्य सत्र: दूसरा सत्र राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण द्वारा ‘भारत: लोकतंत्र की जननी’ विषय पर संबोधित किया गया।
महाना का यह बयान जनप्रतिनिधियों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है, जिसमें उन्होंने नैतिकता, जिम्मेदारी और जनता के प्रति समर्पण पर जोर दिया है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उद्धृत करते हुए कहा कि सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी, पर यह देश रहना चाहिए, यह दर्शाता है कि देशहित सर्वोपरि होना चाहिए।

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