
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी महिलाओं पर अपनी एक टिप्पणी को लेकर विवादों में घिर गए हैं। उन्होंने दावा किया था कि मध्य प्रदेश में महिलाएं सबसे ज्यादा शराब का सेवन कर रही हैं, जिससे राज्य को ‘शराबी’ होने का तमगा मिला है। इस बयान के बाद जब चारों ओर से आलोचना होने लगी, तो उन्होंने इसे अपने खिलाफ ‘मीडिया मैनेजमेंट’ और ‘फंसाने की साजिश’ करार दिया।
क्या कहा था जीतू पटवारी ने?
जीतू पटवारी ने अपने विवादित बयान में कहा था कि मध्य प्रदेश में इस समय महिलाएं सबसे ज्यादा शराब पी रही हैं। उन्होंने इसका दोष भाजपा सरकार पर मढ़ते हुए कहा, “यह हमें तमगा मिला है। यह सब समृद्ध मध्य प्रदेश का सपना देखने वाली भाजपा ने किया है। सबसे ज्यादा शराब की खपत देश में मध्य प्रदेश में है।” उन्होंने आगे कहा कि ड्रग्स के मामले में भी राज्य ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया है और यहां जितना ड्रग्स का कारोबार हो रहा है, उतना किसी और राज्य में नहीं हो रहा।
विवाद बढ़ने पर दी सफाई
महिलाओं को लेकर की गई इस टिप्पणी पर जब विवाद बढ़ा, तो जीतू पटवारी ने सफाई देते हुए कहा कि यह सब उनके खिलाफ एक साजिश है। उन्होंने कहा, “मैं प्रदेश की सभी माताओं और बहनों से अपील करता हूं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की भी माता और बहनें हैं, मेरी भी मां और दो बेटियां हैं। जब परिवार में कोई शराब या ड्रग्स घर लाता है, तो इससे माताओं, बहनों, पत्नियों और माता-पिता को बहुत दर्द होता है।”
पटवारी ने कहा कि उनका उद्देश्य महिलाओं का अपमान करना नहीं था, बल्कि वह यह कहना चाहते थे कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश को ‘शराबी प्रदेश’ बना दिया है, और इस सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी सरकारी एजेंसियां मानती हैं कि मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा शराब बिक्री का केंद्र बन गया है, लेकिन विपक्ष इस मुद्दे को नहीं उठा रहा है। उन्होंने कहा कि भोपाल में हर तीन महीने में ड्रग्स का बड़ा जखीरा पकड़ा जाता है, और गली-गली में नशा बिक रहा है।
भाजपा ने साधा निशाना
जीतू पटवारी के इस बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने पटवारी की टिप्पणी को ‘मध्य प्रदेश की महिलाओं का अपमान’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह बयान कांग्रेस की ‘महिला विरोधी कुत्सित मानसिकता’ का एक अशोभनीय उदाहरण है।
यह विवाद एक बार फिर दिखा रहा है कि राजनेताओं के बयान किस तरह से संवेदनशील मुद्दों पर बहस को भटका सकते हैं।

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