
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ गठबंधन, एनडीए, के भीतर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद ने मंगलवार को गोरखपुर में एक प्रेस वार्ता में भाजपा को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा को अपने सहयोगी दलों पर भरोसा है तो गठबंधन निभाए, वरना साफ-साफ कह दे। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को उत्तर प्रदेश की जीत का श्रेय अकेले नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह जीत सभी सहयोगी दलों के साझा योगदान का परिणाम है।
निषाद पार्टी के खिलाफ हो रही साजिश
डॉ. संजय कुमार निषाद ने अपनी पार्टी और व्यक्तिगत छवि को धूमिल करने के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी की नींव गोरखपुर से ही रखी गई थी, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ स्थानीय नेता लगातार उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि निषाद समाज के लिए आरक्षण का निर्णय केंद्र और राज्य दोनों जगह सत्तारूढ़ भाजपा को लेना है, और इस मुद्दे पर दोनों ही स्तरों पर सकारात्मक पहल हो रही है। उन्होंने तथाकथित निषाद नेताओं पर समाज और पार्टी को गुमराह कर कड़वाहट फैलाने का आरोप लगाया।
इम्पोर्टेड नेताओं पर साधा निशाना
पत्रकारों ने जब भाजपा के कुछ नेताओं के उस बयान पर सवाल किया कि भाजपा निषाद समाज को अधिक टिकट देगी, तो डॉ. निषाद ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “क्या ये वही लोग हैं जो ‘हाथी’ (बसपा) से आए और इंपोर्ट होकर भाजपा में शामिल हुए?” उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि वे तो चाहते हैं कि पूरा विधानसभा ‘निषादमय’ हो जाए और 403 में से 403 विधायक निषाद जीतें, लेकिन सवाल यह है कि जो लोग निषादों को टिकट दिलाने की पैरवी कर रहे हैं, क्या उनके पास 2027 के लिए खुद की सीट की गारंटी है? उन्होंने 2024 के चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि तब भी वे खाली हाथ ही रहे। उन्होंने उन नेताओं से सवाल किया कि अपने कार्यकाल में उन्होंने मछुआ समाज के आरक्षण के लिए कितनी बार आवाज उठाई।

गठबंधन पर दिया स्पष्ट संदेश
सहयोगी दलों के सम्मान को लेकर पूछे गए सवाल पर डॉ. निषाद ने सीधा और बेबाक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा के सहयोगी दल सुभासपा, अपना दल, निषाद पार्टी और रालोद हैं। “अगर भाजपा को हम पर भरोसा है कि हम अपने समाज को सही दिशा में ले जा रहे हैं और इसका राजनीतिक लाभ भी भाजपा को मिल रहा है, तो यह रिश्ता आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन यदि भरोसा नहीं है तो साफ कह दें और गठबंधन खत्म कर दें।” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेतृत्व सीधे बात नहीं करता, बल्कि छोटे-मोटे नेताओं से ऐसे बयान दिलवाता है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में लगातार उन्हें कमजोर करने की कोशिशें की जा रही हैं।
जीत का श्रेय सबको
डॉ. निषाद ने भाजपा को घमंड न करने की सलाह देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की जीत केवल भाजपा की नहीं, बल्कि सभी सहयोगी दलों के योगदान का परिणाम है। उन्होंने कहा कि आशीष पटेल (अपना दल-एस), ओम प्रकाश राजभर (सुभासपा), जयंत चौधरी (रालोद) और निषाद पार्टी ने अपने-अपने समाज को भाजपा से जोड़ा है। उन्होंने 2018 के उपचुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव का उदाहरण दिया, जब रालोद और सुभासपा के सपा से जुड़ने पर उनकी सीटों की संख्या 45 से बढ़कर 125 हो गई थी।
संतकबीरनगर की हार पर मांगा जवाब
संतकबीरनगर चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार प्रवीण निषाद की हार पर उन्होंने कहा कि बार-बार यह सवाल उठाया जा रहा है, लेकिन इस संसदीय क्षेत्र के भाजपा नेतृत्व ने क्या किया और क्या नहीं, इसकी पूरी रिपोर्ट भाजपा के पास है, जिसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने आयातित नेताओं और भाजपा के निषाद नेताओं को आरक्षण के मुद्दे पर विधानसभा का घेराव करने की चुनौती दी और कहा कि वह उनके साथ चलने को तैयार हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो यह माना जाएगा कि वे केवल समाज और पार्टी के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं।

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