
हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। गुरुवार को कैबिनेट बैठक के बाद, उन्होंने 25 सितंबर से ‘लाडो लक्ष्मी योजना’ शुरू करने का ऐलान किया है, जिसके तहत पात्र महिलाओं को हर महीने 2100 रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस योजना को न केवल एक कल्याणकारी कदम, बल्कि एक सोची-समझी चुनावी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य की बड़ी महिला आबादी को सीधे तौर पर लुभाना है।
योजना का राजनीतिक समीकरण
‘लाडो लक्ष्मी योजना’ के ऐलान का समय बेहद महत्वपूर्ण है। यह घोषणा ठीक उस समय की गई है जब राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। मुख्यमंत्री सैनी ने अपनी सरकार का कार्यकाल संभाला है और यह उनकी पहली बड़ी और दूरगामी घोषणाओं में से एक है। यह कदम पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल की नीतियों से हटकर नायब सिंह सैनी को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश है, जो सीधे जनता के बीच लोकप्रिय योजनाओं को लेकर आ रहे हैं।
इस योजना की पात्रता शर्तें भी राजनीतिक रूप से बहुत ही सूक्ष्म तरीके से तैयार की गई हैं। पहले चरण में 1 लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले परिवारों को शामिल करना, यह दिखाता है कि सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगले चरण में अन्य परिवारों को भी इसका लाभ मिलेगा, जिससे यह संदेश जाता है कि यह योजना सभी वर्ग की महिलाओं के लिए है।
23 साल या उससे अधिक उम्र की विवाहित या अविवाहित सभी महिलाओं को इसका पात्र बनाना भी एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है। इस तरह, सरकार एक बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है, जो पारंपरिक रूप से जाति या समुदाय के आधार पर बंटे हुए हो सकते हैं, लेकिन आर्थिक लाभ से सीधे प्रभावित होते हैं।
विपक्ष की कल्याणकारी योजनाओं का जवाब
इस योजना को ‘इंडिया’ गठबंधन, खासकर कांग्रेस, की कल्याणकारी योजनाओं का सीधा जवाब माना जा रहा है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अक्सर चुनाव से पहले महिलाओं को सीधे वित्तीय सहायता, मुफ्त बिजली और अन्य सब्सिडी का वादा करते रहे हैं। नायब सिंह सैनी का यह कदम विपक्षी दलों के वादों को बेअसर करने का एक प्रयास है। 2100 रुपए की मासिक सहायता राशि एक आकर्षक आंकड़ा है, जो सीधे तौर पर परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने का वादा करती है।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि एक परिवार में महिलाओं की संख्या पर कोई सीमा नहीं होगी। यदि एक ही परिवार में तीन पात्र महिलाएं हैं, तो तीनों को इसका लाभ मिलेगा, जिससे एक परिवार को 6300 रुपए की मासिक सहायता मिल सकती है। यह दिखाता है कि सरकार ने हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा है ताकि योजना का लाभ अधिकतम लोगों तक पहुंचे।

वैचारिक और प्रतीकात्मक संदेश
इस योजना का नाम ‘दीन दयाल लाडो लक्ष्मी’ रखना भी एक राजनीतिक संदेश है। यह नाम भाजपा के वैचारिक प्रतीक पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया है, जो पार्टी के ‘अंत्योदय’ यानी समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने के सिद्धांत को दर्शाता है। यह नामकरण न केवल एक योजना को दर्शाता है, बल्कि भाजपा की विचारधारा और उसके राष्ट्रवाद को भी इससे जोड़ता है।
यह योजना हरियाणा में महिलाओं के वोट बैंक को साधने की भाजपा की एक बड़ी कोशिश है। पिछले चुनावों में महिलाओं की भागीदारी और वोटिंग पैटर्न निर्णायक रहे हैं। नायब सिंह सैनी के इस कदम से भाजपा को सत्ता में वापस आने की उम्मीद है। हालांकि, विपक्ष इस योजना को चुनावी घोषणा करार देकर हमलावर होगा और इसके वित्तीय बोझ पर सवाल उठाएगा। इसके बावजूद, यह कदम हरियाणा की चुनावी लड़ाई में एक बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है।

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