
भारत आज राष्ट्रीय खेल दिवस मना रहा है, जो महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती का प्रतीक है। ध्यानचंद, जिन्हें पूरी दुनिया में ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाता है, को उनकी अविश्वसनीय प्रतिभा और देश के लिए उनके योगदान के लिए याद किया जा रहा है। इस विशेष अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के शीर्ष नेताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है और साथ ही देश में खेल के विकास पर भी अपने विचार साझा किए हैं।
हॉकी के जादूगर की अविस्मरणीय विरासत
मेजर ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह था, लेकिन उन्हें ‘चंद’ उपनाम इसलिए मिला क्योंकि वे अपने सैन्य कर्तव्य के बाद रात में चाँद की रोशनी में हॉकी का अभ्यास करते थे। उनके साथी उन्हें ‘चाँद’ कहकर पुकारते थे, और यही उपनाम बाद में उनके नाम का हिस्सा बन गया। उनका खेल सचमुच जादुई था। वे गेंद पर अविश्वसनीय नियंत्रण रखते थे, उनकी स्टिक-वर्क और ड्रिबलिंग इतनी शानदार थी कि अक्सर विपक्षी खिलाड़ी उनसे गेंद छीनने में असफल रहते थे। उनके इस जादुई प्रदर्शन ने ही उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ की उपाधि दिलाई।
ध्यानचंद ने 1922 में सेना में शामिल होने के बाद हॉकी खेलना शुरू किया और बहुत जल्द ही भारतीय टीम का अभिन्न हिस्सा बन गए। उन्होंने 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक, 1932 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक और 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारत को लगातार तीन स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1934 में उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी सौंपी गई। ध्यानचंद को उनके भाई रूप सिंह के साथ मिलकर शानदार खेल के लिए ‘हॉकी ट्विन्स’ के नाम से भी जाना जाता था। उनकी विरासत आज भी युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करती है कि अगर मन में जुनून और जज्बा हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
शीर्ष नेताओं का नमन और खेल परिदृश्य पर चिंतन
राष्ट्रीय खेल दिवस के इस अवसर पर, देश के शीर्ष नेताओं ने मेजर ध्यानचंद को याद करते हुए भारत के खेल जगत में आए बदलावों पर भी बात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी उत्कृष्टता पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। पीएम मोदी ने अपने संदेश में कहा कि पिछले एक दशक में, भारत के खेल परिदृश्य में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। उन्होंने जमीनी स्तर के कार्यक्रमों से लेकर विश्व स्तरीय सुविधाओं के निर्माण तक का जिक्र किया और कहा कि सरकार एथलीटों का समर्थन करने, बुनियादी ढांचे के निर्माण और भारत को खेल उत्कृष्टता का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मेजर ध्यानचंद की अटूट लगन को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि गुलामी के दौर में सीमित संसाधनों के बीच मेजर ध्यानचंद ने जिस मेहनत और लगन से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया, वह अद्वितीय है। शाह ने कहा कि ध्यानचंद का जीवन देश में हॉकी और अन्य खेलों के विकास को बढ़ावा देने की निरंतर प्रेरणा देता रहेगा।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी मेजर ध्यानचंद को ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित महान खिलाड़ी बताते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि मेजर ध्यानचंद ने अपने समर्पण से भारतीय हॉकी को नई पहचान दिलाई थी और उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि मन में जज्बा हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में एक मजबूत खेल संस्कृति के निर्माण और एथलीटों को सशक्त बनाने के सरकार के प्रयासों की सराहना की।
विरासत और भविष्य का संगम
राष्ट्रीय खेल दिवस केवल एक दिग्गज खिलाड़ी को याद करने का दिन नहीं है, बल्कि यह देश के खेल जगत के भविष्य पर चिंतन करने का भी एक मौका है। शीर्ष नेताओं के संदेशों से यह स्पष्ट है कि मेजर ध्यानचंद की विरासत को सम्मान देने के साथ-साथ सरकार भारत को एक वैश्विक खेल शक्ति बनाने की दिशा में काम कर रही है। जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं को निखारने, आधुनिक बुनियादी ढांचा विकसित करने और एथलीटों को हर संभव सहायता प्रदान करने का जो रोडमैप पेश किया जा रहा है, वह ध्यानचंद के सपनों को साकार करने की दिशा में एक कदम है।
मेजर ध्यानचंद की महानता उनकी उपलब्धियों से कहीं अधिक है; यह उनके परिश्रम, विनम्रता और देश के प्रति उनके समर्पण में निहित है। उनका जीवन एक प्रेरणा है कि कठिन परिस्थितियों में भी असाधारण सफलता प्राप्त की जा सकती है। आज जब भारत विभिन्न खेलों में अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बना रहा है, तो मेजर ध्यानचंद का नाम हर भारतीय को अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने और उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने की याद दिलाता है। उनका नाम और उनका खेल हमेशा भारतीय इतिहास का एक गौरवशाली अध्याय बने रहेंगे।

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