
दिल्ली के पटपड़गंज से भाजपा विधायक रविंद्र सिंह नेगी ने एक बार फिर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और महुआ मोइत्रा के खिलाफ दिल्ली के मधु विहार थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें इन नेताओं पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है।
क्या है असली मामला
नेगी ने एक वीडियो संदेश में बताया कि बिहार के दरभंगा में आयोजित ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग हुआ। उनके अनुसार, इसने “देशवासियों को दुखी किया” है। वहीं, महुआ मोइत्रा द्वारा गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ की गई टिप्पणी—जिसमें उन्होंने कहा कि शाह का “सिर टेबल पर रखा जाना चाहिए”—भी “निंदनीय” बताई गई। उन्होंने इन तीनों नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह शिकायत, वायरल वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट को ध्यान में रखते हुए दर्ज की गई।
पलटवार और अन्य एफआईआर
दरभंगा की घटना ने राजनीतिक तूफान ला दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह ने पीएम मोदी और उनकी स्वर्गीय माता के प्रति अभद्र भाषा को तीखी आलोचना की है। अमित शाह ने राहुल गांधी से सार्वजनिक माफी की भी मांग की।
साथ ही, महुआ मोइत्रा के टिप्पणी के लिए फिर FIR दर्ज की गई, जिसमें कहा गया कि उनके बयान “distasteful” और “objectionable” थे। उनके खिलाफ क्रांशनगर स्थित Kotwali थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के खिलाफ मुज़फ्फरपुर कोर्ट में भी शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें “आपत्तिजनक नारे” लगाने का आरोप है—इस पर सुनवाई 11 सितंबर 2025 को होगी।
राजनीतिक महत्ता और विश्लेषण
यह मामला केवल भाषा या बदसुलूकी का नहीं, बल्कि राजनीतिक मोर्चा, आरोप-प्रत्यारोप और चुनावी रणनीतियों का हिस्सा बन गया है। भाजपा इसे “लोकतंत्र की गरिमा” पर हमला मान रही है और विपक्ष को अनुशासन में लाने की कोशिश कर रही है।
राहुल और तेजस्वी द्वारा चुनावी मंच पर आरोपों, वोट चोरी और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर उठाए गए सवाल, पहले ही भाजपा के निशाने पर थे। महुआ मोइत्रा की टिप्पणी ने सीमा रेखा पार की, जिसने राजनीतिक संवाद के स्तर पर नई बहस छेड़ दी।
संवैधानिक और न्यायिक परिप्रेक्ष्य
भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराएं—जैसे कि मानहानि, सार्वजनिक अशांति, और धार्मिक/समूह विरोध—इन एफआईआर में शामिल हो सकती हैं। यह मुकदमे राजनीतिक रूप से संवेदनशील होने के साथ-साथ सामाजिक और न्यायिक प्रवाह को भी प्रभावित कर सकते हैं।
मामले का नया राजनीतिक रंग
यह मामला विधानसभा और लोकसभा चुनावों की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है:–
भाजपा के लिए यह मौका है कि वह संविधान और मर्यादा की रक्षा वाले रक्षक के रूप में खुद को प्रस्तुत करे।
विपक्ष—विशेषकर कांग्रेस, RJD और TMC—अपने अटैक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में बचाने की चुनौती का सामना कर रहे हैं।
आगामी दिनों में न्यायालयीय प्रक्रिया के तारकीय परिणाम—जैसे एफआईआर के क्रम में गिरफ्तारी, पूछताछ, या कोर्ट द्वारा रद्द राजनीतिक धारा को और आगे बढ़ाएंगे।
भाजपा विधायक की यह शिकायत एक राजनीतिक बयान से कहीं आगे है। यह भाषा की मर्यादा, राजनीतिक जिम्मेदारी, और संवैधानिक उपबंधों को लेकर बहस का एक नया चरण खोल रहा है। यह देखने वाली बात होगी कि यह मामला—अदालत से लेकर सड़कों तक—किस मोड़ पर ले जाता है।

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