
उत्तराखंड के नैनीताल में शुक्रवार को मां नंदा देवी महोत्सव का रंगारंग आगाज हुआ, जिसने पूरे नगर को भक्तिमय वातावरण में सराबोर कर दिया। परंपरागत रूप से ज्योलीकोट के चोपड़ा गांव से लाया गया कदली वृक्ष जैसे ही नगर में पहुंचा, “जय मां नंदा देवी” के जयकारों से पूरा शहर गूंज उठा। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकता का भी जीवंत उदाहरण बन गया है।
परंपरा का निर्वहन: कदली वृक्ष की नगर यात्रा
महोत्सव की शुरुआत कदली वृक्ष के आगमन से हुई, जिसे श्रद्धालुओं ने अपने कंधों पर उठाकर नगर भ्रमण कराया। सबसे पहले सूखाताल स्थित वैष्णो देवी मंदिर में विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें सफेद और लाल झंडों के साथ भक्तों ने परंपरा का पालन करते हुए नगर के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण किया। यह दृश्य न केवल धार्मिक भावनाओं को उजागर करता है, बल्कि स्थानीय संस्कृति की गहराई को भी दर्शाता है।

नयना देवी मंदिर में मूर्ति निर्माण की शुरुआत
नगर भ्रमण के बाद कदली वृक्ष को नयना देवी मंदिर पहुंचाया गया, जहां मां नंदा देवी की मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। नन्दा अष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी और भक्तों के लिए दर्शन खोले जाएंगे। यह प्रक्रिया धार्मिक विधि-विधान के अनुसार संपन्न होगी, जिसमें स्थानीय पुजारियों और श्रद्धालुओं की भागीदारी रहेगी।
महिलाओं और बच्चों की सक्रिय भागीदारी
इस महोत्सव में महिलाओं और बच्चों की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। स्थानीय महिला कमला कुंजवाल ने बताया कि नंदा देवी महोत्सव का इंतजार पूरे वर्ष रहता है। यह मेला साल में केवल एक बार आयोजित होता है, और इसके लिए लोग महीनों पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर महोत्सव में शामिल हुईं, जिससे आयोजन को एक पारिवारिक और सामाजिक स्वरूप मिला।
भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक आयोजन
कदली वृक्ष लाने के लिए राम सेवक सभा की ओर से एक विशेष टीम चोपड़ा गांव रवाना की गई थी। वहां रातभर भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ, जिसमें स्थानीय कलाकारों और ग्रामीणों ने भाग लिया। सभा के पदाधिकारी कैलाश जोशी ने बताया कि इस बार महोत्सव को और अधिक भव्य बनाने के लिए विशेष तैयारियां की गई हैं। जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए हैं और नगर को फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है।
नैनीताल की सांस्कृतिक पहचान
नंदा देवी महोत्सव नैनीताल और आसपास के क्षेत्रों में आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र है। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि स्थानीय सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूती प्रदान करता है। मां नंदा देवी को यहां अपार शक्ति का प्रतीक माना जाता है और उनके दर्शन के लिए हर वर्ष हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं। स्थानीय निवासी कमला ने बताया कि माता के प्रति लोगों का गहरा विश्वास है और यह महोत्सव उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

सामाजिक समरसता और एकता का संदेश
इस महोत्सव ने सामाजिक समरसता और एकता का भी संदेश दिया। विभिन्न समुदायों के लोग एक साथ मिलकर आयोजन में भाग ले रहे हैं, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत हो रहे हैं। यह आयोजन धार्मिक सीमाओं से परे जाकर एक साझा सांस्कृतिक मंच बन गया है, जहां हर वर्ग और आयु के लोग एक साथ आस्था और उल्लास में डूबे नजर आते हैं।

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