
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन के तियानजिन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। यह दस महीने बाद दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने की बातचीत होगी। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और हाल ही में हुई प्रगति को आगे बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
सीमा विवाद के बाद पहली बड़ी पहल
दोनों नेताओं की पिछली मुलाकात 2024 में रूस के कजान में ‘ब्रिक्स शिखर सम्मेलन’ के दौरान हुई थी। इस बैठक को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त प्रोटोकॉल पर हुए समझौते के बाद हो रही है। इस समझौते ने चार साल से चल रहे सीमा विवाद को शांत करने में मदद की और दोनों देशों के बीच बातचीत का रास्ता खोला।
इस महीने की शुरुआत में, चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत आए थे और उन्होंने सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि (एसआर) की बैठक में हिस्सा लिया था। उन्होंने तब कहा था कि बीजिंग प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को ‘बहुत महत्व’ देता है। वांग यी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ हुई बैठक में कहा कि एक स्वस्थ और स्थिर चीन-भारत संबंध दोनों देशों के दीर्घकालिक हितों के लिए जरूरी है।
‘आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता’ पर जोर
हाल ही में जापान के एक दैनिक समाचार पत्र को दिए गए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत, चीन के साथ अपने संबंधों को ‘आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता’ के आधार पर आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि पिछली मुलाकात के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में ‘स्थिर और सकारात्मक प्रगति’ देखी गई है।
पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि दो पड़ोसी और दुनिया के दो सबसे बड़े देशों के रूप में भारत और चीन के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुध्रुवीय एशिया और बहुध्रुवीय विश्व के निर्माण के लिए भी जरूरी है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता के लिए सहयोग
प्रधानमंत्री ने वैश्विक आर्थिक स्थिति पर भी बात की। उन्होंने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में मौजूदा उतार-चढ़ाव को देखते हुए, भारत और चीन जैसी दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह आवश्यक है कि वे मिलकर काम करें। दोनों देशों का सहयोग वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता ला सकता है।
यह शिखर सम्मेलन दोनों देशों के लिए अपने संबंधों में नए सिरे से विश्वास बहाल करने और भविष्य के सहयोग के लिए एक मजबूत आधार तैयार करने का एक सुनहरा अवसर है।

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