
मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में जारी गतिरोध के बीच, कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने सोमवार को एक बड़ा बयान दिया है। मुंबई में ओबीसी नेताओं के साथ बैठक करने के बाद उन्होंने चेतावनी दी कि ओबीसी कोटे में किसी भी जाति को गैरकानूनी तरीके से शामिल करने की कोशिश हुई, तो वे भी आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
‘मराठा और कुणबी अलग-अलग जातियां’
भुजबल ने साफ कहा कि मराठा और कुणबी अलग-अलग जातियां हैं। उन्होंने कहा, “‘मराठा-कुणबी एक हैं’ कहना सामाजिक रूप से गलत है और यह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसलों के भी खिलाफ है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट और पिछड़ा आयोग पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि मराठा समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल नहीं किया जा सकता।
भुजबल ने तर्क दिया कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है, जिसमें से अब केवल 17 प्रतिशत ही बचा है, क्योंकि 374 जातियां पहले से ही इस कोटे में शामिल हैं। ऐसे में अगर और जातियों को इसमें जोड़ा गया तो यह ओबीसी के साथ सरासर अन्याय होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कल कोई यह कहे कि उसे दलित कोटे में शामिल किया जाए, तो क्या हम मान लेंगे? उन्होंने कहा कि देश में कानून और संविधान है, और फैसले उन्हीं के आधार पर होने चाहिए।
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों से मुलाकात
मंत्री भुजबल ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर ओबीसी वर्ग के हितों को लेकर अपनी चिंताएं साझा की हैं। उन्होंने कहा, “हमने साफ कह दिया कि सरकार को जो देना है वो दे, लेकिन हमारे कोटे में किसी को गैरकानूनी तरीके से शामिल न किया जाए।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई समुदाय ओबीसी में शामिल होना चाहता है तो उसे कानूनी प्रक्रिया और आयोग के जरिए ही आना होगा। किसी मंत्री या नेता को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है। भुजबल ने कहा कि अगर मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे को छेड़े बिना आरक्षण मिल जाए तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर ओबीसी के हक में कटौती की गई तो लाखों लोग सड़कों पर उतर सकते हैं।
मराठा आंदोलन में खाने की बर्बादी पर भी सवाल
दूसरी ओर, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे कार्यकर्ता मनोज जारंगे पाटिल के आंदोलन में खाने की बर्बादी की खबरें भी सामने आ रही हैं। जो लोग आरक्षण की मांग कर रहे हैं, वे ही जमीन पर अनाज और फल बर्बाद कर रहे हैं। यह एक चिंता का विषय है, क्योंकि इससे आंदोलन की गंभीरता पर सवाल उठते हैं।

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