
श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय में छात्रों और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं पर हुए बर्बर लाठीचार्ज के बाद, मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री के निर्देश पर गठित जांच समिति से मंगलवार को एबीवीपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की और दोषी पुलिस अधिकारियों और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
जांच समिति से मुलाकात और घटना का ब्योरा
एबीवीपी का प्रतिनिधिमंडल अयोध्या के मंडलायुक्त राजेश कुमार और आईजी रेंज अयोध्या प्रवीण कुमार से मिला। इस मुलाकात के दौरान, एबीवीपी के पदाधिकारियों ने जांच अधिकारियों को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों और प्रशासन के बीच चल रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शन में पुलिस का हस्तक्षेप पूरी तरह से अनुचित था।
प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि जैसे ही क्षेत्राधिकारी (सीओ) मौके पर पहुंचे, उन्होंने छात्रों पर बिना किसी उकसावे के बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज करने का आदेश दे दिया। इस लाठीचार्ज के कारण 20 से अधिक छात्र घायल हो गए। इस दौरान, पुलिस ने लाठियां भांजकर छात्रों को तितर-बितर करने की कोशिश की, जिससे माहौल और बिगड़ गया।
एबीवीपी की कड़ी चेतावनी
एबीवीपी पदाधिकारियों ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि इसमें शामिल सभी दोषी अधिकारियों और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ कठोरतम दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि छात्रों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा, “अगर विद्यार्थियों की मांगें तय समय-सीमा के भीतर पूरी नहीं नहीं की गईं, तो एबीवीपी के कार्यकर्ता छात्रहित में एक बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।” इस बयान से स्पष्ट है कि एबीवीपी इस मामले को हल्के में नहीं ले रही है और वह छात्रों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

जांच अधिकारियों का आश्वासन
प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद, मंडलायुक्त ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि इस घटना की पूरी तरह से निष्पक्ष जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच के बाद जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। यह आश्वासन छात्रों और एबीवीपी के लिए एक बड़ी राहत है, लेकिन अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच कब तक पूरी होती है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।
घटना का कारण और मुख्यमंत्री का संज्ञान
लाठीचार्ज की यह घटना तब हुई जब श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय में छात्र अवैध वसूली और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से लॉ कोर्स की मान्यता समाप्त होने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। छात्रों की मांग थी कि उनकी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान किया जाए। लेकिन, पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसक तरीके से दबाने की कोशिश की।
इस घटना को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से संज्ञान में लिया। उन्होंने तुरंत क्षेत्राधिकारी (सीओ) को उनके पद से हटाने का निर्देश दिया और मामले की जांच अयोध्या के मंडलायुक्त और आईजी रेंज को सौंपी, ताकि घटना की सच्चाई का पता लगाया जा सके और दोषियों को सजा दी जा सके।
प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय मंत्री अंकित शुक्ल, काशी प्रांत मंत्री अभय प्रताप सिंह, गोरक्ष प्रांत मंत्री मयंक राय, कानपुर प्रांत मंत्री शिवा राजे बुंदेला, अवध प्रांत संगठन मंत्री अंशुल विद्यार्थी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद सदस्य सृष्टि सिंह और ऋषभ सिंह बिसेन जैसे प्रमुख पदाधिकारी शामिल थे, जो इस बात का संकेत है कि एबीवीपी ने इस मामले को कितनी गंभीरता से लिया है।

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