
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई में हुए बड़े विरोध प्रदर्शन के बाद अब मुंबई पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद, मुंबई पुलिस ने अवैध रूप से इकट्ठा होने और सार्वजनिक जीवन में अशांति फैलाने के आरोप में कई प्रदर्शनकारियों के खिलाफ विभिन्न पुलिस स्टेशनों में मामले दर्ज किए हैं।
हाई कोर्ट की सख्ती के बाद पुलिस का एक्शन
मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान मुंबई में जगह-जगह जाम और अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई थी। इस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कड़ा रुख अपनाते हुए टिप्पणी की थी। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय (चंद्रशेखर नहीं, जैसा कि आपके संदर्भ में है) और न्यायमूर्ति आरती साठे की पीठ ने सुनवाई के दौरान आंदोलन से उत्पन्न स्थिति पर नाराजगी व्यक्त की थी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था, “सड़कों पर जज के चलने की भी जगह नहीं है। हालात सामान्य करें, वरना सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
कोर्ट ने पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सड़कों से वाहनों को हटाया जाए और भीड़ को नियंत्रित किया जाए। इसी आदेश के बाद, मुंबई पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है।

कई थानों में दर्ज हुईं FIR
मुंबई पुलिस के मुताबिक, मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कई अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज की गई हैं। जानकारी के अनुसार:
मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं।
एमआरए मार्ग पुलिस स्टेशन में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं।
इसके अलावा, जेजे पुलिस स्टेशन, कोलाबा पुलिस स्टेशन और आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में भी मामले दर्ज किए गए हैं।
इन मामलों में प्रदर्शनकारियों पर अवैध रूप से इकट्ठा होने और हिंसा फैलाने के आरोप लगाए गए हैं। पुलिस का कहना है कि यह कार्रवाई सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए की गई है।

मनोज जरांगे पाटिल ने अनशन तोड़ा, स्थिति सामान्य
गौरतलब है कि मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने मंगलवार को अपनी ज्यादातर मांगें स्वीकार किए जाने के बाद अपना पांच दिन का आमरण अनशन समाप्त कर दिया था। जरांगे पाटिल ने जल संसाधन मंत्री और मंत्रिमंडलीय उपसमिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण विखे-पाटिल के हाथों नींबू पानी पीकर अनशन तोड़ा। उनके अनशन समाप्त करने की घोषणा के बाद, मुंबई में जुटे हजारों मराठा कार्यकर्ता धीरे-धीरे अपने-अपने गांवों को लौटने लगे, जिसके बाद शहर में स्थिति सामान्य होने लगी है।
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान मुंबई पुलिस ने मनोज जरांगे के प्रदर्शन को अनुमति देने से इनकार कर दिया था और उन्हें आजाद मैदान खाली करने का नोटिस भी भेजा था। हालांकि, अब जब आंदोलन समाप्त हो चुका है, तो पुलिस उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, जिन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान नियमों का उल्लंघन किया।
यह घटना दर्शाती है कि लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शनों में भी कानून-व्यवस्था बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। जहां एक तरफ सरकार ने आंदोलन की मांगों पर ध्यान दिया, वहीं दूसरी तरफ कानून तोड़ने वालों पर कार्रवाई भी की जा रही है।

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