
भारत निर्वाचन आयोग के सख्त निर्देशों के बाद, उत्तर प्रदेश में उन राजनीतिक दलों पर गाज गिरी है, जिन्होंने पिछले छह वर्षों से किसी भी चुनाव में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) श्री नवदीप रिणवा ने ऐसे 121 पंजीकृत राजनीतिक दलों को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया था, जिसमें से केवल 55 दलों के प्रतिनिधियों ने ही सुनवाई में हिस्सा लिया और अपना पक्ष रखा। यह कार्रवाई राजनीतिक दलों में पारदर्शिता और सक्रियता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
सुनवाई की प्रक्रिया और चौंकाने वाले आंकड़े
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में दो दिन, 2 और 3 सितंबर को हुई इस विशेष सुनवाई में, 121 में से कुल 55 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए। बुधवार, 3 सितंबर को, 51 दलों को बुलाया गया था, जिनमें से केवल 17 ही उपस्थित हुए। इस तरह, आधे से अधिक दलों ने चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझा। सीईओ नवदीप रिणवा ने उपस्थित हुए दलों द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों जैसे अंशदान रिपोर्ट, वार्षिक लेखा परीक्षण (ऑडिट) रिपोर्ट, और निर्वाचन व्यय विवरण का गहन परीक्षण किया।

यह जांच इस बात पर केंद्रित थी कि क्या ये दल वास्तव में सक्रिय हैं या केवल कागजों पर ही मौजूद हैं। चुनाव आयोग का उद्देश्य ऐसे निष्क्रिय दलों को हटाना है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कोई योगदान नहीं दे रहे हैं। यह कदम राजनीतिक प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए महत्वपूर्ण है।
नियमों का पालन न करने वाले दलों पर सख्ती
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सुनवाई के दौरान राजनीतिक दलों को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने याद दिलाया कि प्रत्येक दल को नियमों के अनुसार कई महत्वपूर्ण रिपोर्ट समय पर जमा करना अनिवार्य है:
अंशदान रिपोर्ट: हर साल 30 सितंबर तक
आय-व्यय की ऑडिट रिपोर्ट: हर साल 31 अक्टूबर तक
चुनाव खर्च का ब्योरा: लोकसभा चुनाव के बाद 90 दिनों में और विधानसभा चुनाव के बाद 75 दिनों में
इसके अलावा, दलों को 20,000 रुपये से अधिक के चंदे की रिपोर्ट भी देनी होती है। श्री रिणवा ने जोर देकर कहा कि सभी राजनीतिक दलों को अपने ईमेल, मोबाइल नंबर और वर्तमान पते को अपडेट रखना चाहिए, ताकि आयोग के निर्देश और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी उन तक समय पर पहुंच सके। यह कदम उन दलों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है जो नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।

उपस्थित रहने वाले दल और आगे की राह
बुधवार की सुनवाई में जो दल उपस्थित रहे, उनमें प्रतापगढ़ की गदर पार्टी, मैनपुरी की नवचेतना पार्टी, और प्रयागराज की नवीन समाजवादी दल जैसी पार्टियाँ शामिल थीं। ये दल अपनी सक्रियता और नियमों के पालन का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए उपस्थित हुए।

चुनाव आयोग की यह कार्रवाई राजनीतिक दलों के लिए एक वेक-अप कॉल है। यह दिखाता है कि आयोग अब उन पार्टियों को बर्दाश्त नहीं करेगा जो सिर्फ पंजीकरण कराकर नियमों की अनदेखी करती हैं। यह कदम भारतीय लोकतंत्र को अधिक जीवंत और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस कार्रवाई से यह उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में केवल वही दल पंजीकृत रहेंगे जो वास्तव में चुनाव प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और नियमों का पालन करते हैं।

गांव से लेकर देश की राजनीतिक खबरों को हम अलग तरीके से पेश करते हैं। इसमें छोटी बड़ी जानकारी के साथ साथ नेतागिरि के कई स्तर कवर करने की कोशिश की जा रही है। प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक की राजनीतिक खबरें पेश करने की एक अलग तरह की कोशिश है।



