
बुजुर्गों के कल्याण और अधिकारों की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, केरल सरकार ने देश का पहला वरिष्ठ नागरिक आयोग स्थापित किया है। यह आयोग राज्य में बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार, उपेक्षा और शोषण जैसे गंभीर मुद्दों का समाधान करेगा। राज्य की उच्च शिक्षा और सामाजिक न्याय मंत्री आर. बिंदु ने बुधवार को एक फेसबुक पोस्ट के जरिए इस महत्वपूर्ण घोषणा की जानकारी दी।
आयोग का गठन और नेतृत्व
इस नवगठित आयोग का नेतृत्व के. सोमप्रसाद को सौंपा गया है, जिन्हें इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनके साथ, अमरविला रामकृष्णन, ई एम राधा, के एन के नंबूथिरी और लोप्स मैथ्यू को आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। इस टीम का मुख्य उद्देश्य बुजुर्गों के कल्याण और संरक्षण को सुनिश्चित करना है।
इस आयोग का गठन केरल वरिष्ठ नागरिक आयोग अधिनियम, 2025 के तहत किया गया है, जिसे मार्च में राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किया गया था। इस अधिनियम ने इस बात का कानूनी आधार प्रदान किया कि बुजुर्गों के अधिकारों को अब एक विशेष संस्था द्वारा संरक्षित किया जाएगा।
आयोग का मुख्य उद्देश्य और कार्यक्षेत्र
मंत्री आर. बिंदु ने बताया कि यह आयोग बुजुर्गों द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों को संबोधित करने के लिए बनाया गया है। इसमें उनके साथ होने वाली उपेक्षा, शोषण और अन्य प्रकार के दुर्व्यवहार शामिल हैं। आयोग का मुख्य उद्देश्य न केवल इन समस्याओं का समाधान करना है, बल्कि बुजुर्गों के पुनर्वास के लिए भी दिशा-निर्देश और सहायता प्रदान करना है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब भारतीय समाज में बुजुर्गों की बढ़ती उपेक्षा एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। यह आयोग बुजुर्गों के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच का काम करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार मिले।
एक राजनीतिक और सामाजिक संदेश
केरल सरकार का यह फैसला एक मजबूत राजनीतिक और सामाजिक संदेश देता है। यह दर्शाता है कि सरकार अपनी आबादी के सबसे कमजोर वर्ग, यानी बुजुर्गों के प्रति कितनी संवेदनशील है। यह पहल अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल कायम कर सकती है, जो भविष्य में इसी तरह के आयोगों का गठन करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
यह आयोग न केवल कानूनी और प्रशासनिक मामलों को संभालेगा, बल्कि यह जागरूकता फैलाने का भी काम करेगा ताकि समाज में बुजुर्गों के प्रति सम्मान और देखभाल की भावना बढ़े। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल बुजुर्गों के जीवन में सुधार लाएगा, बल्कि एक अधिक समावेशी और मानवीय समाज के निर्माण में भी योगदान देगा।

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