
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति ने अपनी पहली बैठक में कई महत्वपूर्ण और दूरगामी फैसले लिए हैं, जिनका उद्देश्य मंदिर प्रशासन को सुदृढ़ करना, श्रद्धालुओं की सुविधाओं को बेहतर बनाना और मंदिर की सदियों पुरानी परंपराओं एवं संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस नवगठित समिति ने 14 उप-समितियों का गठन किया है, जो विभिन्न क्षेत्रों में विशेष ध्यान केंद्रित करेंगी।
प्रमुख सुधारों को मिली मंजूरी
बैठक के दौरान, मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने बताया कि भक्तों के लिए सुगम दर्शन सुनिश्चित करना समिति की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में नटमंडप में कतारबद्ध दर्शन शुरू करने पर चर्चा हुई है। इस नई व्यवस्था को पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा, जिसके लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जा रही है। इस निर्णय से भक्तों को व्यवस्थित रूप से दर्शन करने में मदद मिलेगी और भीड़-भाड़ को नियंत्रित किया जा सकेगा।
इसके अलावा, समिति ने दिव्यांग श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए भी एक बड़ा फैसला लिया है। उत्तरी द्वार पर एक रैंप का निर्माण किया जाएगा, जिससे दिव्यांगजन आसानी से मंदिर में प्रवेश कर सकें। इस कदम से मंदिर की समावेशिता बढ़ेगी और सभी श्रद्धालुओं को समान अवसर मिलेंगे। एक और संवेदनशील निर्णय के तहत, मंदिर परिसर में एक स्तनपान कक्ष के संचालन की योजना पर भी चर्चा की गई है, जो माताओं के लिए एक बड़ी राहत साबित होगी।
गिरीश मुर्मू को मिली कमान
मंदिर की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक अलग सुरक्षा उप-समिति का गठन किया गया है। इस समिति की कमान जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप-राज्यपाल डॉ. गिरीश मुर्मू को सौंपी गई है, जिन्हें अध्यक्ष बनाया गया है। जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को भी सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। यह फैसला मंदिर की सुरक्षा को लेकर सरकार की गंभीरता को दर्शाता है। गिरीश मुर्मू ने अपनी नियुक्ति पर कहा कि यह भगवान की कृपा है और उनकी प्राथमिकता मंदिर की विभिन्न समस्याओं की पहचान करना और उनका व्यवस्थित समाधान करना होगा। उनका कहना है कि हर समस्या पर चर्चा की जाएगी और समाधान को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
मंदिर की सुरक्षा के अलावा, समिति ने ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए भी कदम उठाए हैं। अरबिंद पाधी ने बताया कि प्रशासन ने श्रद्धालुओं को धोखा देने वाली फर्जी वेबसाइटों की पहचान की है और इन पर लगाम लगाने के लिए औपचारिक शिकायतें दर्ज की हैं।
विविध क्षेत्रों के लिए उप-समितियां
मंदिर के कुशल प्रबंधन के लिए 14 उप-समितियों का गठन किया गया है, जो विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करेंगी। इनमें वित्त समिति, कोषागार समिति, अपील उप-समिति, और सेवायत कल्याण समिति शामिल हैं, जिसकी अध्यक्षता जिला कलेक्टर करेंगे।
इसके अलावा, भूमि उप-समिति की अध्यक्षता मुख्य प्रशासक करेंगे, जो मंदिर की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। श्री जगन्नाथ तत्व अनुसंधान और प्रकाशन उप-समिति तथा परियोजना सांस्कृतिक उप-समिति (गजपति महाराज की अध्यक्षता में) का गठन मंदिर की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। इन समितियों के गठन से यह सुनिश्चित होगा कि मंदिर के संचालन और प्रबंधन के हर पहलू पर बारीकी से ध्यान दिया जाए। यह नवगठित समिति न सिर्फ भक्तों को बेहतर अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि मंदिर की गरिमा और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए भी पूरी तरह से संकल्पित है।

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