
RSS 3-day coordination meeting begins in Jodhpur
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और इसके विभिन्न सहयोगी संगठनों के अखिल भारतीय पदाधिकारियों की तीन दिवसीय समन्वय बैठक शुक्रवार को जोधपुर में शुरू हो गई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य साल भर के कार्यों की समीक्षा करना, अनुभवों का आदान-प्रदान करना और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा करना है। बैठक का शुभारंभ आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत माता की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर किया।
बैठक में प्रमुख हस्तियां मौजूद
इस महत्वपूर्ण समन्वय बैठक में 32 संगठनों के अखिल भारतीय पदाधिकारी भाग ले रहे हैं। बैठक की शुरुआत सामूहिक रूप से ‘संगठन मंत्र’ के पाठ से हुई। पहले सत्र में, विभिन्न संगठनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में किए गए नए प्रयोगों और सफलताओं के बारे में प्रस्तुति दी।
बैठक में मौजूद प्रमुख हस्तियों में 6 सह-सरकार्यवाह, विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार, राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांता अक्का, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष राजशरण शाही, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, संगठन मंत्री बीएल संतोष, वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह और अन्य कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हैं। इन सभी की उपस्थिति से यह साफ है कि यह बैठक आरएसएस परिवार के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।

परिसर में भारतीय संस्कृति की झलक
बैठक स्थल को भारतीय संस्कृति और इतिहास की झलक से सजाया गया है। सभागार में प्रवेश के लिए दो विशेष द्वार बनाए गए हैं:
रानी अब्बक्का द्वार: यह द्वार 500 साल पहले उपनिवेशवाद के खिलाफ भारतीय महिलाओं के संघर्ष का प्रतीक है।
हल्दीघाटी द्वार: यह द्वार भारतीय शौर्य और बलिदान का प्रतीक है।
इन द्वारों के अलावा, परिसर में भक्तिमति मीरा बाई और खेजड़ली की पर्यावरण बलिदानी अमृता देवी की सुंदर रंगोली भी बनाई गई है, जो बैठक में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक माहौल जोड़ती है।

एजेंडा और चर्चा के प्रमुख बिंदु
यह तीन दिवसीय समन्वय बैठक, जो 5 से 7 सितंबर तक चलेगी, साल भर के कामों और अनुभवों पर चर्चा का एक मंच है। बैठक में जिन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा होगी, उनमें शामिल हैं:—
- पंच परिवर्तन: सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन (परिवारों में जागरूकता), पर्यावरण के अनुकूल जीवन, स्व-आधारित संरचना और नागरिक कर्तव्यों का पालन।
- संघ शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम: 2025 में आरएसएस अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करेगा, और इस अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की योजना पर भी चर्चा होगी।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: इसके कार्यान्वयन और संघ परिवार के संगठनों की इसमें भूमिका पर विस्तृत चर्चा होगी।
यह बैठक सिर्फ चर्चा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य विभिन्न संगठनों के बीच समन्वय स्थापित करना और उन्हें दिशा-निर्देश देना भी है। बैठक के अंत में, सभी सुझावों और अनुभवों के आधार पर भविष्य की योजनाओं को अंतिम रूप दिया जाएगा, जो आने वाले समय में आरएसएस और इसके प्रेरित संगठनों की दिशा तय करेगी।

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