
अन्नाद्रमुक महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) अपनी महत्वाकांक्षी राज्यव्यापी ‘मक्कलाई कप्पोम थमिझागथाई मीटपोम’ यात्रा का पांचवां चरण 17 सितंबर से शुरू करने जा रहे हैं। यह चरण धर्मपुरी जिले से प्रारंभ होगा और दस दिनों तक चलने वाली इस यात्रा का समापन 26 सितंबर को करूर जिले के कुलीथलाई में होगा।
दस दिवसीय कार्यक्रम
अन्नाद्रमुक मुख्यालय द्वारा जारी घोषणा के अनुसार, पलानीस्वामी इस चरण में धर्मपुरी, नमक्कल, नीलगिरी, डिंडीगुल और करूर जिलों का दौरा करेंगे। यात्रा के दौरान वे अपने प्रचार वाहन से विभिन्न इलाकों में पहुंचकर कुल 19 जनसभाएं करेंगे।
पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं को निर्देश दिया गया है कि वे समर्थकों को संगठित करें और कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए पूरी तैयारी करें।
अब तक की यात्रा
पलानीस्वामी ने इस साल फरवरी में इस अभियान की शुरुआत अपने गृह जिले सलेम से की थी। पहले चरण में उन्होंने इरोड, तिरुप्पुर और कोयंबटूर जैसे पश्चिमी जिलों का दौरा किया और लोगों से “द्रमुक के कुशासन से मुक्ति दिलाने” का वादा किया।
दूसरा चरण मार्च में शुरू हुआ, जिसमें तंजावुर, तिरुवरूर और नागपट्टिनम जैसे डेल्टा जिलों का दौरा शामिल था। यहां उन्होंने किसानों की समस्याओं को सामने रखा और राज्य सरकार की कृषि एवं जल प्रबंधन नीतियों की आलोचना की।
तीसरे चरण में वेल्लोर, तिरुवन्नामलाई और कांचीपुरम जैसे उत्तरी जिलों को कवर किया गया। यहां ईपीएस ने द्रमुक पर चुनावी वादे पूरा न करने का आरोप लगाया और मतदाताओं से अपील की कि वे “अन्नाद्रमुक के विकास और कल्याणकारी शासन को बहाल करें।”
चौथे चरण में उन्होंने दक्षिणी तमिलनाडु पर ध्यान केंद्रित किया। मदुरै, थेनी, विरुधुनगर और तिरुनेलवेली जिलों की रैलियों में उन्होंने पिछली अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा शुरू की गई जनहितकारी योजनाओं को दोबारा लागू करने का वादा किया।
150 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा
पलानीस्वामी अब तक इस यात्रा के दौरान तमिलनाडु के करीब 150 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंच चुके हैं। उनकी रैलियों में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ रही है, जिसे राजनीतिक विश्लेषक द्रमुक के खिलाफ अन्नाद्रमुक को मजबूत विकल्प के रूप में देखने लगे हैं।
इस अभियान का उद्देश्य केवल मतदाताओं से जुड़ना ही नहीं, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरना और संगठन को पुनर्जीवित करना भी है।

पांचवें चरण का महत्व
धर्मपुरी से शुरू होने वाला पांचवां चरण पश्चिमी जिलों पर केंद्रित है। यह इलाका अन्नाद्रमुक की संगठनात्मक ताकत का गढ़ माना जाता है। पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि यह चरण 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले संगठन को मजबूती देने और जनता के बीच विश्वास कायम करने में मददगार होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह चरण ईपीएस की नेतृत्व क्षमता और पार्टी के पुनरुद्धार की दिशा में अगला बड़ा कदम साबित हो सकता है।
ईपीएस का संदेश
यात्रा के दौरान पलानीस्वामी लगातार द्रमुक सरकार पर हमला बोलते रहे हैं। उनका कहना है कि मौजूदा सरकार लोगों से किए वादे पूरे करने में असफल रही है। वे बार-बार यह दोहराते हैं कि 2026 के चुनाव तमिलनाडु की राजनीति के लिए निर्णायक मोड़ होंगे।
ईपीएस ने जनता से वादा किया है कि अन्नाद्रमुक को सत्ता में वापस लाकर वे राज्य को “समृद्धि और विकास की राह” पर ले जाएंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी प्राथमिकता लोगों की रक्षा करना और पिछली अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा शुरू किए गए कल्याणकारी कार्यक्रमों को फिर से लागू करना होगी।
पार्टी के भीतर नेतृत्व की पकड़
पलानीस्वामी की इस यात्रा ने पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश पैदा किया है। वे लगातार खुद को अन्नाद्रमुक के निर्विवाद नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भीड़ और कार्यकर्ताओं की बढ़ती भागीदारी इस बात का संकेत है कि पार्टी आधार उनके साथ खड़ा है।
एडप्पादी पलानीस्वामी की ‘मक्कलाई कप्पोम’ यात्रा का पांचवां चरण न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अन्नाद्रमुक के पुनर्गठन और भविष्य की रणनीति का भी हिस्सा है। पश्चिमी जिलों में इस यात्रा के असर पर सभी की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि यही इलाका पार्टी के पुनरुद्धार की कुंजी माना जा रहा है।
अगर पलानीस्वामी इस चरण में व्यापक जनसमर्थन जुटाने में सफल रहते हैं, तो यह 2026 के विधानसभा चुनावों की दिशा तय करने में निर्णायक साबित हो सकता है।

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