
तेलंगाना की राजनीति में आगामी 15 सितंबर को कामारेड्डी एक बार फिर बड़ा सियासी मंच बनने जा रहा है। सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी यहां एक विशाल बीसी डिक्लेरेशन सक्सेस रैली आयोजित करने की तैयारी कर रही है। पार्टी का लक्ष्य इस रैली में दो लाख से अधिक लोगों की भीड़ जुटाने का है। कांग्रेस इसे न केवल पिछड़े वर्ग (बीसी) समुदायों के समर्थन का प्रदर्शन मान रही है, बल्कि विपक्षी दलों को सीधी चुनौती देने का अवसर भी देख रही है।
कामारेड्डी से जुड़ा ऐतिहासिक महत्व
यह रैली महज एक जनसभा नहीं मानी जा रही, बल्कि कांग्रेस के चुनावी वादों और उन्हें निभाने के दावों की सार्वजनिक घोषणा का बड़ा अवसर है। 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने यहीं कामारेड्डी से बीसी डिक्लेरेशन जारी किया था, जिसमें 42 प्रतिशत आरक्षण समेत कई बड़े वादे किए गए थे। अब कांग्रेस सरकार इन वादों को पूरा करने का दावा कर रही है।
तैयारी बैठक और नेताओं की मौजूदगी
रविवार को कामारेड्डी में हुई तैयारी बैठक में टीपीसीसी अध्यक्ष और एमएलसी महेश कुमार गौड़ ने अध्यक्षता की। इस बैठक में राज्य सरकार के पांच मंत्री – पोनम प्रभाकर, सीतक्का, कोंडा सुरेखा, पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी और वकाटी श्रीहरि मौजूद रहे। साथ ही सरकारी सलाहकार मोहम्मद अली शब्बीर, सांसद सुरेश शेटकर, कई विधायक, डीसीसी अध्यक्ष और अन्य नेता भी शामिल हुए।
कांग्रेस का दावा – वादों को निभाया
महेश कुमार गौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा किया है। उन्होंने बताया कि विधानसभा में विधेयक पारित कर शिक्षा, रोजगार और स्थानीय निकायों में बीसी समुदाय को 42 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। कांग्रेस अब इस आरक्षण को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए भी प्रतिबद्ध है।

भाजपा और बीआरएस पर कांग्रेस का हमला
कांग्रेस नेताओं ने भाजपा और बीआरएस दोनों पर तीखा हमला बोला।
भाजपा पर आरोप: महेश गौड़ ने कहा कि भाजपा ने ही बीसी आरक्षण बिलों को रोका। उन्होंने सवाल उठाया कि “केंद्रीय मंत्री बंडी संजय और निजामाबाद के सांसद डी. अरविंद बीसी आरक्षण पर चुप क्यों हैं?”
बीआरएस पर निशाना: उन्होंने के. कविता पर निजामाबाद को ‘लिकर क्वीन’ के नाम से बदनाम करने का आरोप लगाया और कहा कि “केसीआर का परिवार एक लूट का गैंग है, जो अब आपसी हिस्सेदारी के लिए लड़ रहा है।”
समानता की राजनीति का संदेश
कांग्रेस का दावा है कि पार्टी समानता की राजनीति करती है। महेश गौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने राहुल गांधी के ‘सबको हक मिले’ के सपने को साकार करने का काम किया है। उन्होंने बताया कि जातिगत जनगणना में बीसी की जनसंख्या 56.33 प्रतिशत है और कांग्रेस का 42 प्रतिशत आरक्षण का वादा सिर्फ घोषणा नहीं, बल्कि ठोस आधार और नीयत पर आधारित है।
रैली की अहमियत
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, कामारेड्डी की यह रैली कई मायनों में अहम है।
यह रैली कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र को जमीन पर उतारने का सबूत बनेगी।
भाजपा और बीआरएस पर कांग्रेस के हमले आगामी लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में राजनीतिक माहौल गरमा सकते हैं।
पिछड़े वर्ग की बड़ी आबादी को साधकर कांग्रेस 2026 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी स्थिति और मजबूत करना चाहती है।

विपक्ष के लिए चुनौती
कांग्रेस की यह रणनीति विपक्षी दलों के लिए चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है। भाजपा जहां राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़े वर्ग के समर्थन का दावा करती है, वहीं बीआरएस लंबे समय से राज्य की राजनीति में बीसी समुदाय पर पकड़ बनाए हुए है। लेकिन कामारेड्डी की यह रैली कांग्रेस को बीसी राजनीति का केंद्र बनाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।
तेलंगाना की राजनीति में 15 सितंबर की कामारेड्डी रैली महज एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि कांग्रेस की भविष्य की सियासी रणनीति का बड़ा कदम साबित हो सकती है। दो लाख लोगों की भीड़ जुटाने का दावा, विपक्ष पर सीधे हमले और बीसी आरक्षण के मुद्दे को केंद्र में रखकर कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह सत्ता में आने के बाद अपने वादों को निभाने में पीछे नहीं है।
अगर यह रैली सफल होती है, तो यह न केवल कांग्रेस के आत्मविश्वास को बढ़ाएगी, बल्कि राज्य में भाजपा और बीआरएस के लिए भी नई राजनीतिक चुनौती पेश करेगी।

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