
निजामाबाद थाना क्षेत्र के टुंडवल गांव निवासी छात्र अजीत राय की हत्या के मामले में आखिरकार 21 वर्षों बाद अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर एक अजय कुमार शाही ने मंगलवार को सुनवाई के बाद छह दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। दोषियों में मोहम्मद दानिश, शाह समर नसीम, दानिश, मोहम्मद सारिक, सादिक खान उर्फ रशीद और रिंकू जकरिया शामिल हैं।
प्रत्येक दोषी पर लगा अर्थदंड
अदालत ने सभी छह दोषियों को आजीवन कारावास के साथ 45-45 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। न्यायालय ने निर्देश दिया कि वसूले गए अर्थदंड की आधी राशि मृतक छात्र अजीत राय के परिवार को दी जाएगी, ताकि उन्हें आर्थिक रूप से कुछ सहारा मिल सके।
दो नाबालिगों का मामला अलग
इस प्रकरण में दो नाबालिग भी आरोपित पाए गए थे। उनका मामला किशोर न्याय बोर्ड में विचाराधीन है। वहीं, आरोपियों के साथ नामित शिब्ली कॉलेज के प्रिंसिपल मोहम्मद इफ्तखार खान और फिजिक्स विभागाध्यक्ष मोहम्मद जकरिया को पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया।
चुनावी रंजिश से उपजी थी घटना
मूल रूप से टुंडवल गांव निवासी अजीत राय शिब्ली नेशनल पीजी कॉलेज में बीएससी अंतिम वर्ष का छात्र था। वह 2004 के छात्र संघ चुनाव में महामंत्री पद पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था। इसी रंजिश को लेकर 9 सितंबर 2004 की सुबह करीब 11 बजे शिब्ली इंटर कॉलेज के गेट पर उसकी हत्या कर दी गई।

इस तरह हुआ था हमला
अदालती कार्यवाही के दौरान यह साबित हुआ कि चुनावी प्रतिद्वंद्विता के चलते दोषियों ने मिलकर अजीत पर जानलेवा हमला किया। पहले लाठी-डंडों से उसकी पिटाई की गई, इसके बाद रिंकू जकरिया के उकसाने पर मोहम्मद दानिश ने तमंचे से फायर कर दिया। गंभीर रूप से घायल अजीत को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
परिवार की ओर से दर्ज कराई गई थी रिपोर्ट
घटना के दिन अजीत के चाचा देवेंद्र राय ने शहर कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पुलिस ने जांच पूरी कर आठ आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत की।
लंबी सुनवाई के बाद आया फैसला
इस मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने सहायक शासकीय अधिवक्ता गोपाल पांडेय, राजीव सिंह और सीबीसीआइडी के अधिवक्ता के माध्यम से 16 गवाहों को पेश किया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और गवाहों के बयानों के आधार पर अदालत ने छह आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद और जुर्माने की सजा सुनाई।
न्याय की प्रक्रिया पूरी
करीब दो दशक तक चले इस मुकदमे में कई उतार-चढ़ाव आए। लेकिन अंततः न्यायालय के फैसले ने मृतक छात्र के परिवार को न्याय दिलाया। यह फैसला न केवल मृतक के परिजनों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि न्याय की प्रक्रिया चाहे जितनी लंबी क्यों न हो, अपराधियों को उनके अपराध की सजा जरूर मिलती है।

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