
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने एक विशेष ब्लॉग पोस्ट और सोशल मीडिया संदेश में भागवत के जीवन और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान की गहराई से सराहना की। पीएम मोदी ने कहा कि मोहन भागवत ने “वसुधैव कुटुंबकम” के मंत्र से प्रेरित होकर समाज में समता, समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है।
पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग की शुरुआत 11 सितंबर के ऐतिहासिक महत्व को याद करते हुए की। उन्होंने कहा कि यह दिन 1893 में स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो में दिए गए विश्वबंधुत्व के संदेश और 9/11 के आतंकी हमले, जिसने विश्व बंधुत्व को सबसे बड़ी चोट पहुंचाई, दोनों की स्मृतियों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि आज का दिन इसलिए भी विशेष है, क्योंकि आज एक ऐसे व्यक्तित्व का जन्मदिन है, जिन्होंने जीवनभर समाज को संगठित करने का कार्य किया। पीएम मोदी ने भागवत को ‘परम पूजनीय सरसंघचालक’ के रूप में संबोधित करते हुए उनके दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना की। उन्होंने कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि इसी साल संघ भी अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है।

व्यक्तिगत संबंध और पारिवारिक विरासत
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में मोहन भागवत के साथ अपने गहरे व्यक्तिगत संबंध का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उन्हें भागवत के पिता, स्वर्गीय मधुकरराव भागवत, के साथ निकटता से काम करने का सौभाग्य मिला था। पीएम मोदी ने बताया कि उन्होंने अपनी पुस्तक ‘ज्योतिपुंज’ में भी मधुकरराव के बारे में विस्तार से लिखा है। वकालत के साथ-साथ मधुकरराव ने अपना जीवन राष्ट्र निर्माण के कार्य में समर्पित कर दिया था। अपनी युवावस्था में उन्होंने लंबा समय गुजरात में बिताया और संघ कार्य की एक मजबूत नींव रखी।
पीएम मोदी ने मधुकरराव के राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका झुकाव इतना प्रबल था कि उन्होंने अपने पुत्र मोहनराव को भी इस महान कार्य के लिए निरंतर गढ़ा। उन्होंने मधुकरराव को एक ‘पारसमणि’ (एक पौराणिक पत्थर जो लोहे को सोने में बदल देता है) की उपमा देते हुए कहा कि उन्होंने मोहनराव के रूप में एक और पारसमणि तैयार कर दी। यह दर्शाता है कि कैसे भागवत के जीवन की नींव उनके परिवार द्वारा ही रखी गई थी।

प्रचारक परंपरा की मजबूत धुरी
पीएम मोदी ने मोहन भागवत के जीवन को एक सतत प्रेरणा बताते हुए कहा कि वे 1970 के दशक के मध्य में प्रचारक बने। उन्होंने प्रचारक शब्द का महत्व समझाया और कहा कि जो लोग संघ को जानते हैं, उन्हें पता है कि यह परंपरा संघ कार्य की एक विशेषता है। उन्होंने बताया कि पिछले 100 वर्षों में देशभक्ति से प्रेरित हजारों युवक-युवतियों ने अपना घर-परिवार त्याग कर पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित किया है, और भागवत जी उस महान परंपरा की एक मजबूत धुरी हैं।
भागवत ने उस समय प्रचारक का दायित्व संभाला, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश पर इमरजेंसी थोप दी थी। उस कठिन दौर में एक प्रचारक के रूप में उन्होंने आपातकाल विरोधी आंदोलन को निरंतर मजबूती दी। उन्होंने कई वर्षों तक महाराष्ट्र के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों, विशेषकर विदर्भ में काम किया। 1990 के दशक में अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख के रूप में उनके कार्यों को आज भी कई स्वयंसेवक स्नेहपूर्वक याद करते हैं। इसी कालखंड में, भागवत ने बिहार के गांवों में भी अपने जीवन के अमूल्य वर्ष बिताए और समाज को सशक्त करने के कार्य में समर्पित रहे।
सरसंघचालक के रूप में असाधारण नेतृत्व
पीएम मोदी ने कहा कि सरसंघचालक होना मात्र एक संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक पवित्र विश्वास है, जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी दूरदर्शी व्यक्तित्वों ने आगे बढ़ाया है और राष्ट्र के नैतिक और सांस्कृतिक पथ को दिशा दी है। उन्होंने कहा कि असाधारण व्यक्तियों ने इस भूमिका को व्यक्तिगत त्याग, उद्देश्य की स्पष्टता और मां भारती के प्रति अटूट समर्पण के साथ निभाया है।
20वीं सदी के आखिरी पड़ाव पर वे अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख बने। वर्ष 2000 में वे सरकार्यवाह (General Secretary) बने, और यहां भी उन्होंने अपनी अनोखी कार्यशैली से हर कठिन परिस्थिति को सहजता और सटीकता से संभाला। 2009 में वह सरसंघचालक बने और आज भी अत्यंत ऊर्जा के साथ कार्य कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भागवत ने ‘राष्ट्र प्रथम’ की मूल विचारधारा को हमेशा सर्वोपरि रखा है। यह गर्व की बात है कि उन्होंने न केवल इस विशाल जिम्मेदारी के साथ पूर्ण न्याय किया है, बल्कि इसमें अपनी व्यक्तिगत शक्ति, बौद्धिक गहराई और सहृदय नेतृत्व भी जोड़ा है।
बदलाव का कालखंड और युवा जुड़ाव
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मोहन भागवत का युवाओं से सहज जुड़ाव है और इसी कारण उन्होंने अधिक से अधिक युवाओं को संघ कार्य के लिए प्रेरित किया है। वे लोगों से प्रत्यक्ष संपर्क में रहते हैं और संवाद करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ कार्य पद्धति को अपनाने की इच्छा और बदलते समय के प्रति खुला मन रखना, ये मोहन जी की बहुत बड़ी विशेषता रही है।
पीएम मोदी ने भागवत के कार्यकाल को संघ की 100 साल की यात्रा में सर्वाधिक परिवर्तन का कालखंड माना। उन्होंने कहा कि चाहे वह गणवेश परिवर्तन हो या संघ शिक्षा वर्गों में बदलाव, ऐसे अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन उनके निर्देशन में संपन्न हुए। यह दिखाता है कि वे परंपरा को बनाए रखते हुए भी समय के साथ आवश्यक बदलावों को अपनाने में विश्वास रखते हैं।

कोरोना काल में प्रेरणादायक भूमिका
पीएम मोदी ने कोरोना महामारी के कठिन समय में मोहन भागवत के प्रयासों को विशेष रूप से याद किया। उन्होंने बताया कि उस दौर में भागवत ने स्वयंसेवकों को सुरक्षित रहते हुए समाजसेवा करने की दिशा दी और तकनीक का उपयोग बढ़ाने पर बल दिया। उनके मार्गदर्शन में स्वयंसेवकों ने जरूरतमंदों तक हरसंभव सहायता पहुंचाई और जगह-जगह मेडिकल कैंप लगाए। पीएम मोदी ने कहा कि उनकी प्रेरणा ऐसी थी कि जब हमें कई स्वयंसेवकों को खोना पड़ा, तब भी अन्य स्वयंसेवकों की दृढ़ इच्छाशक्ति कमजोर नहीं पड़ी। उन्होंने वैश्विक चुनौतियों और वैश्विक विचार को प्राथमिकता देते हुए व्यवस्थाओं को विकसित किया।
‘पंच परिवर्तन’ की दूरदर्शी पहल
पीएम मोदी ने कहा कि संघ एक अक्षयवट की तरह है, जिसकी जड़ें उसके मूल्यों की वजह से बहुत गहरी और मजबूत हैं। इन मूल्यों को आगे बढ़ाने में जिस समर्पण से मोहन भागवत जुटे हुए हैं, वह हर किसी को प्रेरणा देता है। उन्होंने बताया कि समाज कल्याण के लिए संघ की शक्ति के निरंतर उपयोग पर भागवत का विशेष बल रहा है। इसके लिए उन्होंने ‘पंच परिवर्तन’ का मार्ग प्रशस्त किया है।
इस पहल में स्व बोध (आत्म-जागरूकता), सामाजिक समरसता, नागरिक शिष्टाचार, कुटुंब प्रबोधन (परिवार का ज्ञान), और पर्यावरण के सूत्रों पर चलते हुए राष्ट्र निर्माण को प्राथमिकता दी गई है। पीएम मोदी ने कहा कि देश और समाज के लिए सोचने वाले हर भारतवासी को इन सूत्रों से अवश्य प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि भागवत जी उस स्पष्ट विजन और ठोस एक्शन से परिपूर्ण हैं, जिसकी जरूरत वैभव संपन्न भारत माता के सपने को साकार करने के लिए होती है।
‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के प्रबल पक्षधर
पीएम मोदी ने मोहन भागवत के स्वभाव की एक और बड़ी विशेषता यह बताई कि वे मृदुभाषी हैं और उनमें सुनने की भी अद्भुत क्षमता है। यह विशेषता उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व में संवेदनशीलता और गरिमा लाती है।
भागवत जी हमेशा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के प्रबल पक्षधर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि वे भारत की विविधता और अनेक संस्कृतियों के उत्सवों में पूरे उत्साह से शामिल होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बहुत कम लोगों को यह पता है कि मोहन भागवत अपनी व्यस्तता के बीच संगीत और गायन में भी रुचि रखते हैं और विभिन्न भारतीय वाद्ययंत्रों में भी निपुण हैं। पठन-पाठन में उनकी रुचि उनके अनेक भाषणों और संवादों में साफ दिखाई देती है।
जन-आंदोलनों में प्रेरणा और शताब्दी वर्ष का संयोग
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले दिनों देश में जितने सफल जन-आंदोलन हुए, चाहे वह स्वच्छ भारत मिशन हो या बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, भागवत ने पूरे संघ परिवार को इन आंदोलनों में ऊर्जा भरने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पर्यावरण से जुड़े प्रयासों और सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को आगे बढ़ाने के प्रति उनके समर्पण का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि मोहन जी का बहुत जोर आत्मनिर्भर भारत पर भी है।
पीएम मोदी ने अपनी पोस्ट का समापन करते हुए बताया कि कुछ ही दिनों में विजयादशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 100 वर्ष का हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि विजयादशमी का पावन पर्व, गांधी जयंती, लाल बहादुर शास्त्री की जयंती और संघ का शताब्दी वर्ष एक ही दिन आ रहे हैं। उन्होंने भागवत को एक दूरदर्शी और परिश्रमी सरसंघचालक बताया, जो ऐसे ऐतिहासिक समय में संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं। पीएम मोदी ने एक युवा स्वयंसेवक से सरसंघचालक तक की उनकी जीवन यात्रा को उनकी निष्ठा और वैचारिक दृढ़ता का प्रतीक बताया। अंत में, उन्होंने मां भारती की सेवा में समर्पित मोहन भागवत के दीर्घ और स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।

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