
आज का दिन भारतीय इतिहास में एक विशेष महत्व रखता है। यह स्वामी विवेकानंद के 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिए गए ऐतिहासिक भाषण की 132वीं वर्षगांठ है। इस दिन को ‘दिग्विजय दिवस’ और ‘विश्व बंधुत्व दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देशभर के कई शीर्ष नेताओं ने सोशल मीडिया पर स्वामी विवेकानंद के योगदान को याद करते हुए उनके संदेश को प्रेरणादायी बताया।
यह भाषण न केवल भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव को विश्व पटल पर स्थापित करने वाला था, बल्कि इसने मानवता, सद्भाव और सार्वभौमिक भाईचारे का एक नया मार्ग भी प्रशस्त किया।
पीएम मोदी ने बताया ‘ऐतिहासिक क्षण’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) संदेश में कहा कि 11 सितंबर 1893 को शिकागो में दिया गया स्वामी विवेकानंद का भाषण एक “ऐतिहासिक क्षण” था। उन्होंने लिखा, “सद्भाव और विश्व बंधुत्व पर जोर देते हुए उन्होंने विश्व मंच पर भारतीय संस्कृति के आदर्शों का भावपूर्ण ढंग से बखान किया।” पीएम मोदी ने इस भाषण को “हमारे इतिहास के सबसे प्रसिद्ध और प्रेरक क्षणों में से एक” बताया। उनका यह संदेश दर्शाता है कि यह भाषण केवल एक धार्मिक सभा में दिया गया वक्तव्य नहीं था, बल्कि इसने भारतीय मूल्यों को विश्वव्यापी पहचान दी।
मानवता के लिए एकता और कल्याण का नया मार्ग
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि दी और उनके भाषण को मानवता के लिए एकता और कल्याण का नया मार्ग प्रशस्त करने वाला बताया। उन्होंने लिखा, “स्वामी विवेकानंद जी के शब्दों ने मानवजाति को प्रेरित किया और हमारी प्राचीन आध्यात्मिकता के सिद्धांतों के माध्यम से मानवता के लिए एकता और कल्याण का एक नया मार्ग प्रशस्त किया।” अमित शाह ने युवाओं से भी आह्वान किया कि वे इस प्रेरणा के स्रोत से सीख लें और एक नए भारत और एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिए उनके ज्ञानवर्धक भाषण का फिर से अध्ययन करें। यह संदेश आज के युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचारों को गहराई से समझने के लिए प्रेरित करता है।
‘अमेरिका के बहनों और भाइयों…’ का जादू
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने संदेश में स्वामी विवेकानंद के प्रसिद्ध अभिवादन “अमेरिका के बहनों और भाइयों…” को विशेष रूप से याद किया। उन्होंने कहा कि इस अभिवादन ने पूरी दुनिया को भारतीय अध्यात्म और दर्शन से परिचित कराया और भारत की छवि को एक नया रूप दिया। फडणवीस ने इस दिन को ‘दिग्विजय दिवस’ बताते हुए सभी को शुभकामनाएं दीं। यह संबोधन सिर्फ एक औपचारिक अभिवादन नहीं था, बल्कि इसने भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (पूरी दुनिया एक परिवार है) की भावना को प्रदर्शित किया।
सार्वभौमिक स्वीकृति और चिरस्थायी मूल्य
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने स्वामी विवेकानंद के भाषण को सार्वभौमिक स्वीकृति के शाश्वत शब्दों के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि एक शताब्दी से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी उनका संदेश लाखों लोगों के दिलों में गूंजता है। सरमा ने कहा कि 11 सितंबर को विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाना भारत की आत्मा, एकता, शांति और समावेशिता के वैदिक आह्वान को दर्शाता है। उन्होंने युवाओं से स्वामीजी के भाषणों पर पुनर्विचार करने और भारत तथा हिंदू धर्म के चिरस्थायी मूल्यों से शक्ति प्राप्त करने का आग्रह किया।
भारत की सभ्यतागत शक्ति का परिचय
केरल भाजपा अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने लिखा, “1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के शब्दों ने दुनिया को भारत की सभ्यतागत शक्ति से परिचित कराया।” चंद्रशेखर ने कहा कि सहिष्णुता, सार्वभौमिक भाईचारे और सद्भाव का उनका संदेश आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि यह संदेश भारतीयों की पीढ़ियों को आकार दे रहा है और एक आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के दृष्टिकोण को प्रेरित कर रहा है।
कुल मिलाकर, देशभर के नेताओं द्वारा दी गई ये श्रद्धांजलि दर्शाती हैं कि स्वामी विवेकानंद के विचार और उनका शिकागो भाषण आज भी भारतीय समाज और राजनीति के लिए प्रासंगिक हैं। उनके संदेश ने न केवल भारत के आध्यात्मिक गौरव को स्थापित किया, बल्कि दुनिया को यह भी सिखाया कि धर्म और संस्कृति को जोड़ने का काम करते हैं, तोड़ने का नहीं। यह दिन हमें उनके आदर्शों को अपनाने और विश्व में शांति, सद्भाव और भाईचारा फैलाने का संकल्प लेने की प्रेरणा देता है।

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