
केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से सांसद गिरिराज सिंह ने शुक्रवार को ‘द बंगाल फाइल्स’ फिल्म देखने के बाद एक बड़ा राजनीतिक बयान दिया है। उन्होंने फिल्म को आजादी के बाद की पीढ़ी के लिए एक ‘जरूरी दस्तावेज’ बताते हुए कहा कि यह फिल्म भारत के विभाजन का वह सच दिखाती है, जिसे नई पीढ़ी को जरूर जानना चाहिए। गिरिराज सिंह ने विपक्षी दलों पर भी तीखा हमला बोला और मौलवियों द्वारा राजनीतिक फतवे जारी करने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिससे बिहार की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है।
फिल्म को बताया ऐतिहासिक दस्तावेज
फिल्म देखने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा, “जो आजादी के बाद की पीढ़ी है, जिसने बंटवारे को नहीं देखा, उनके लिए ‘द बंगाल फाइल्स’ बंटवारे का सच दिखाती है। यह फिल्म हर किसी को, खासकर युवा वर्ग को देखनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि यह फिल्म न सिर्फ ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करती है, बल्कि वर्तमान बंगाल के हालात को समझने के लिए भी महत्वपूर्ण है। गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि इस फिल्म में गांधी जी की भूमिका को भी अपने-अपने नजरिए से देखा जा सकता है, जो फिल्म के कई पहलुओं को छूने का संकेत है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इस फिल्म से कोई भी मुंह नहीं छिपा सकता, क्योंकि यह आधी आजादी के सच को सामने लाती है। गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि फिल्म देखने के बाद ऐसा लगता है कि बंगाल में मौजूदा हालात को देखते हुए उन लोगों की जरूरत फिर से महसूस हो रही है, जो समाज को बचाने के लिए खड़े हुए थे। यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वैचारिक दृष्टिकोण और बंगाल की राजनीति में उसकी भूमिका को रेखांकित करती है।
विपक्ष पर साधा निशाना, इतिहास को झूठलाने का आरोप
जब पत्रकारों ने गिरिराज सिंह से विपक्ष द्वारा ‘द बंगाल फाइल्स’ पर सवाल उठाए जाने के बारे में पूछा, तो उन्होंने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने प्रतिप्रश्न करते हुए कहा, “क्या इतिहास के पन्नों को झूठलाया जा सकता है? क्या सोहराबुद्दीन और पुलिस की घटनाएं इतिहास में दर्ज नहीं हैं?” इस उदाहरण के जरिए उन्होंने यह समझाने की कोशिश की कि कुछ घटनाएं इतिहास का हिस्सा होती हैं और उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इस फिल्म में एक गहरा संदेश भी है कि ‘अगर तुम बांटोगे, तो काटे जाओगे।’ यह बयान सीधे तौर पर उन लोगों को चेतावनी है, जो कथित तौर पर समाज को बांटने की कोशिश करते हैं।
मंदिर-मस्जिद पर दिया तीखा बयान
एक अन्य सवाल के जवाब में गिरिराज सिंह ने मौलवियों द्वारा राजनीतिक फतवे जारी करने पर तीखी प्रतिक्रिया दी, जिसने उनकी प्रेस वार्ता को और भी विस्फोटक बना दिया। उन्होंने बेहद आक्रामक लहजे में कहा, “अगर मस्जिदों से मौलवी राजनीतिक फतवे जारी करेंगे तो हम मंदिरों से अपनी हुंकार भरेंगे। हुंकार का मतलब हुंकार होता है।” यह बयान सीधे तौर पर धार्मिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ाने वाला माना जा रहा है। गिरिराज सिंह के इस बयान से एक बार फिर से राजनीतिक गलियारों में गरमाहट आ गई है, और यह माना जा रहा है कि इसका असर बिहार की राजनीति में देखने को मिल सकता है।
युवाओं से इतिहास समझने की अपील
गिरिराज सिंह ने अपनी बात खत्म करते हुए युवाओं से इस फिल्म को देखने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह फिल्म न केवल इतिहास को समझने में मदद करती है, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए भी एक बड़ा सबक है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे इस फिल्म को देखें और इतिहास के उन पहलुओं को समझें, जो आज भी समाज को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि देश को सही रास्ते पर रखने के लिए इतिहास के सच को जानना बेहद जरूरी है।
कुल मिलाकर, गिरिराज सिंह की यह प्रेस वार्ता सिर्फ एक फिल्म की समीक्षा तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह उनके और उनकी पार्टी के राजनीतिक एजेंडे को दर्शाती है। यह उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों- विभाजन का सच, बंगाल की मौजूदा स्थिति, विपक्ष पर हमला, और धार्मिक ध्रुवीकरण- का एक शक्तिशाली मिश्रण था। उनका यह बयान आगामी चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में एक नई चर्चा छेड़ सकता है।

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